sri rama navami : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनवमी मनाई जाती है जो कि भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे। प्रत्येक साल हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी के रूप मनाया जाता है। चैत्र मास की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि भी मनाई जाती है। इन दिनों कई लोग उपवास भी रखते हैं।
आइए जानते हैं कि 2022 में रामनवमी कब है व रामनवमी 2022 की मुहूर्त, इसके पौराणिक मान्यताएँ क्या हैं, भारत में रामनवमी उत्सव मनाने के प्रसिद्ध स्थान, साथ ही जानेंगे राम नवमी की पूजा विधि के बारे में।
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2022 में रामनवमी कब है (sri rama navami)
sri rama navami : यह भगवान राम के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार और एक अच्छा राजा माना जाता है जिनके शासनकाल के दौरान भारतवर्ष में रामराज्य अर्थात अपार समृद्धि आयी थी। यह त्योहार नेपाल और दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा भी मनाया जाता है। 2022 में रामनवमी 10 अप्रैल 2022 दिन रविवार को है।
रामनवमी का मुहूर्त (sri rama navami)
रामनवमी मुहूर्त : 11:06:35 से 13:39:01 तक
अवधि : 2 घंटे 32 मिनट
रामनवमी मध्याह्न समय : 12:22:48
राम नवमी की पूजा विधि
- इस पावन दिन के शुभ अवसर पर सुबह जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन लें। अगर आप व्रत कर सकते हैं, तो इस दिन व्रत भी रखें।
- अब एक लकड़ी की चौकी लें और उसके ऊपर लाल रंग का स्वच्छ कपड़ा बिछाएं।
- यदि आपके पास राम सीता और लक्ष्मण सहित प्रतिमाएं हैं तो और भी शुभ है। चौकी पर राम दरबार या राम जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें।
- अब गंगाजल छिड़कें, तिलक करें और चावलों से अष्टदल बनाएं।
- अब अष्टदल के ऊपर तांबे का कलश रखकर उसपर चौमुखी दीपक जलाएं।
- अब वहीं आसन पर बैठकर इस पावन दिन पर भगवान राम की आरती भी अवश्य करें। आप रामचरितमानस, रामायण, श्री राम स्तुति और रामरक्षास्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
- पाठ पूर्ण होने पर भगवान को अपनी इच्छानुसार सात्विक चीजों का भोग लगाएं।
- इसके बाद भजन कीर्तन करते हुए दिन व्यतीत करें। शाम के समय घी का दीपक जलाएं और राम कथा सुनें।
पौराणिक मान्यताएँ (sri rama navami)
sri rama navami : श्री रामनवमी की कहानी लंकाधिराज रावण से शुरू होती है। रावण अपने राज्यकाल में बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचार से पूरी जनता त्रस्त थी, यहाँ तक की देवतागण भी, क्योंकि रावण ने ब्रह्मा जी से वरदान लिया था कि उसे कोई देवता पराजित ना कर सके। उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु चैत्र माह के नवमी को जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।
भारत में रामनवमी उत्सव मनाने के प्रसिद्ध स्थान
श्री रामनवमी हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है जो देश-दुनिया में सच्ची श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार वैष्णव समुदाय में विशेषतौर पर मनाया जाता है।
रामनवमी की पूजा और उत्सव में शामिल होइए। इसे पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है, लेकिन सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध उत्सव तेलंगाना के भद्राचलम मंदिर में होता है।
रथयात्रा देखें, जिसमें रथ पर भगवान राम के साथ उनके भाई लक्ष्मण, माता सीता और परमभक्त हनुमान की शोभायात्रा निकाली जाती है। अच्छी तरह से सजे हुए रथ के साथ “सैनिकों” की वेशभूषा में तैयार कलाकार भी शामिल होते हैं।
हर साल उत्तर में स्थित शहर अयोध्या में रथयात्रा देखने के लिए हज़ारों लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है।
दक्षिण भारत के कई मंदिरों में “राम! राम! राम!” की जय-जयकार के बीच राम और सीता के वैवाहिक समारोह का अभिनय किया जाता है। ऐसे कार्यक्रमों में से सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध कार्यक्रम भद्राचलम शहर में होता है।
तिरुमला शहर के वैष्णव तीर्थस्थल श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर जाएँ, जो भारत देश के आंध्र प्रदेश राज्य का पहाड़ी क्षेत्र है। यह भगवान विष्णु के एक अन्य अवतार “वेंकटेश्वर” भगवान का मंदिर है और चारों तरफ से सात पहाड़ों से घिरे होने के कारण इसे “सात पहाड़ों का मंदिर” कहते हैं। यह 300 ईसवी के आसपास निर्मित किया गया था और द्रविड़ वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है।
रामनवमी का त्योहार पूरे भारत वर्ष में, विशेष रूप से वैष्णव हिंदुओं के द्वारा व्यापक रूप से मनाया जाने वाला धार्मिक हिन्दू उत्सव है। यह कई रंगारंग झांकियों और कार्यक्रमों का भी अवसर होता है जिसमें कई पर्यटक शामिल होते हैं।