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2022 गुरु पूर्णिमा कब है,क्यों मनाते हैं,शुभ मुहूर्त तथा message for guru purnima

  • हिंदू कैलेंडर का चौथा मास आषाढ़ मास की पूर्णिमा ‘व्यास पूर्णिमा / गुरु पूर्णिमा’ का पर्व अध्यात्म , संत – महागुरु और शिक्षकों के लिए समर्पित एक भारतीय त्योहार है । यह पर्व पारंपरिक रूप से शिक्षकों को सम्मान देने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है ।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिामा का पर्व महर्षि वेद व्यास जी के सम्मान में मनाया जाता है। चारों वेदों, 18 पुराणों , महाभारत के रचयिता और कई अन्य ग्रंथों के रचनाकार का श्रेय महर्षि वेद व्यास को दिया जाता है। वेदों का विभाजन करने के कारण इनका नाम वेद व्यास पड़ा था।
  • आदिकाल से ही सनातनधर्म में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा पर्व के रूप में मनाया जाता है। शिवपुराण के अनुसार अठ्ठाईसवें द्वापर में इसी दिन भगवान विष्णु के अंशावतार वेदव्यास जी का जन्म हुआ। चारों वेदों का बृहद वर्णन करने और वेदों का सार ब्रह्मसूत्र की रचना करने के फलस्वरूप ही ये महर्षि व्यास नाम से विख्यात हुए। महर्षि वेदव्यास जी को आदिगुरु भी कहा जाता है। इन्होंने महाभारत सहित 18 पुराणों एवं अन्य ग्रन्थों की भी रचना की जिनमें श्रीमदभागवतमहापुराण जैसा अतुलनीय ग्रंथ भी है। इस दिन जगतगुरु वेदव्यास सहित अन्य गुरुओं की भी पूजा की जाती है। 
  • किंवदंतियों के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन ही महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। जिस कारण ये दिन इन्हें समर्पित माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि महर्षि वेद व्यास जी ने सनातन धर्म के चार वेदों की व्याख्या की थी। चूंकि इन्होंने पहली बार मानव जाति को चारों वेद का ज्ञान दिया था। इसलिए इन्हें सर्वप्रथम गुरु माना जाता है। इन्हीं के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाली इस पूर्णिमा तिथि को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
  • गुरु के महत्व को बताते हुए संत कबीर का एक दोहा बड़ा ही प्रसिद्ध है। जो इस प्रकार है

गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥

इसके अलावा संस्कृत के प्रसिद्ध श्लोक में गुरु को परम ब्रह्म बताया गया है –
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

  • शास्त्रों में भी गुरु की विशेष महिमा बताई गई है। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है और ज्ञान ही हर प्रकार के अंधकार को दूर कर सकता है।
  • गुरु को सभी धर्मों में विशेष महत्व दिया गया है। हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है।
  • गुरु पूर्णिमा का पर्व जीवन में गुरु के विशिष्ट स्थान को दर्शाता है।
  • इस दिन गुरु का आदर और सम्मान कर, आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त करना कठिन है। अच्छा गुरु जीवन में रोशनी लाने का कार्य करता है, जिससे जीवन में प्रकाश ही प्रकाश जगमगाने लगता है। ज्ञान की रोशनी हर प्रकार के अंधकार को मिटाती है। इसीलिए गुरु का स्थान सर्वोपरि है।
  • यूं तो प्रत्येक माह में पूर्णिमा तिथि पड़ती है परंतु आषाढ़ मास की पूर्णिमा का अपना अधिक महत्व है।

सद्गुरु : कैसे मनाना शुरू किया था हमने गुरु पूर्णिमा का उत्सव?

  • गुरु पूर्णिमा मानवता के जीवन के सबसे महान क्षणों में से एक है। गुरु पूर्णिमा की कहानी सभी धर्मों से पुरानी है।
  • हजारों सालों से, गुरु पूर्णिमा को उस दिन के रूप में हमेशा पहचाना और मनाया जाता था, जब मानव जाति के लिए नई संभावनाएं खुली थीं।
  • प्रथम गुरु पूर्णिमा की कहानी
  • योग संस्कृति में, शिव को भगवान के रूप में नहीं देखा जाता, उन्हें पहले योगी अथवा आदियोगी के रूप में जाना जाता है।
  • 15000 साल पहले, एक योगी(शिव) हिमालय के ऊपरी क्षेत्रों में दिखाई दिए थे। कोई भी नहीं जानता था कि वो कहाँ से आए थे, और उनका पिछ्ला जीवन कैसा था। उन्होंने अपना परिचय नहीं दिया था – इसलिए लोगों को उनका नाम भी नहीं पता था। इसलिए उन्हें आदियोगी या पहले योगी कहा जाता है।
  • वह हमेसा साधना में लिप्त रहते थे। इनसे मिलने बहुतों ने आया जिसमें से कुछ लोगों ने इनसे वह हर ज्ञान अर्जित करना चाहते थे जो इनके पास था। लेकिन इन्होंने सबको सिखाने से मना कर दिया तो सब चले गए केवल सात लोग वहीँ रुके रहे। ये सातों उन योगी से सीखने का निश्चय कर चुके थे। आदियोगी ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने अनुरोध किया, “जो आप जानते हैं, वो हम भी जानना चाहते हैं।” उन्होंने उन्हें खारिज कर दिया और कहा, “तुम लोग मूर्ख हो, जिस तरह से तुम हो, वैसे तो तुम दस लाख वर्षों में नहीं जान पाओगे। तुम्हें तैयारी करने की जरूरत है। इसके लिए जबरदस्त तैयारी की आवश्यकता है। यह मनोरंजन नहीं है। “
  • लेकिन वे सातों सीखने के लिए बहुत आग्रह(जोर दे कर कहना) कर रहे थे, इसलिए आदियोगी ने उन्हें कुछ प्रारंभिक साधना दी। फिर उन सातों ने तैयारी शुरू कर दी – दिन सप्ताह में बदले, सप्ताह महीनों में, और महीने वर्षों में – वे तयारी करते रहे। आदियोगी बस उन्हें नजरअंदाज करते रहे। ऐसा कहा जाता है कि उन सातों ने 84 साल तक साधना की थी। फिर, एक पूर्णिमा के दिन, 84 वर्षों के बाद, आदियोगी ने इन सात लोगों को देखा। आदियोगी उन्हें बारीकी से देखते रहे और अगली पूर्णिमा के दिन, उन्होंने एक गुरु बनने का फैसला किया। वो पूर्णिमा का दिन, गुरु पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा, वो पूर्णिमा है जब पहले योगी ने खुद को आदिगुरु या पहले गुरु में बदल दिया। और सात शिष्यों को योग विज्ञान देना शुरू किया। इस प्रकार, दक्षिणायण की पहली पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा कहलाती है। इस दिन पहले गुरु प्रकट हुए थे।
  • आप आज भी एक भी चीज़ नहीं बदल सकते, क्योंकि वो हर बात जो बताई जा सकती है, आदियोगी बहुत ही सुंदर और बुद्धिमान तरीकों से बताई। आप बस उसे समझने की कोशिश में अपना पूरा जीवन लगा सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा कब है?

आषाढ़ मास को हिंदू कैलेंडर का चौथा मास माना गया है। पंचांग के अनुसार 13 जुलाई 2022 को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि है। इस पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा और आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। अर्थात गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई 2022 को है।

गुरु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त :

गुरु पूर्णिमा: 13 जुलाई

पूर्णिमा तिथि का आरंभ:
13 जुलाई, बुधवार को प्रात: 04 बजकर 01 मिनट से।

पूर्णिमा तिथि का समापन:
14 जुलाई, गुरुवार को प्रात: 00 बजकर 08 मिनट पर

ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन हर व्यक्ति को अपने गुरु को सम्मान देना चाहिए तथा निम्न मंत्रों का जाप करना चाहिए।
* ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।
* * * ॐ गुरुभ्यो नम:।
* ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।

ज्योतिष गणना के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पर्व से ही वर्षा ऋतु का आरंभ होता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का भी विशेष पुण्य बताया गया है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

  • धार्मिक शास्त्रों में भी गुरु के महत्व को बताया गया है। गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि गुरु ही भगवान तक पहुंचने का मार्ग बताते हैं। गुरु के बिना ज्ञान की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गुरु की कृपा से सब संभव हो जाता है। गुरु, व्यक्ति को किसी भी विपरित परिस्थितियों से बाहर निकाल सकते हैं।
  • शैक्षिक ज्ञान एवं साधना का विस्तार करने के उद्देश्य से सृष्टि के आरम्भ से ही गुरु-शिष्य परंपरा का जन्म हुआ। सर्वप्रथम श्रीपरमेश्वर ने नारायण का विष्णु रूप में नामकरण किया और उन्हें ‘ॐ’कार रूपी महामंत्र का जप करने की आज्ञा दी। बाद में ब्रह्मा को अज्ञानता से मुक्त करने के लिए परमेश्वर ने अपने हृदय से योगियों के सूक्ष्मतत्व श्रीरूद्र को प्रकट किया जिन्होंने ब्रह्मा के अंतर्मन को विशुद्ध करने के लिए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने का ज्ञान देकर ब्रह्मा का मोहरूपी अन्धकार दूर किया। अतः अपने शिष्य को ‘तमसो मा ज्योतिगर्मय’ अंधकार की बजाय प्रकाश की ओर ले जाना ही गुरुता है। 
  • इस पवित्र पर्व पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-आराधना कर उपहार स्वरूप कुछ न कुछ दान-दक्षिणा देते हैं। प्रत्येक युग में गुरु की सत्ता परमब्रह्म की तरह कण-कण में व्याप्त रही है। गुरु विहीन संसार अज्ञानता की कालरात्रि मात्र ही है। संत तुलसीदास ने कहा है कि ‘गुरु बिन भवनिधि तरइ न कोई। जो बिरंचि संकर सम होई ।। अर्थात- गुरु की कृपा प्राप्ति के बगैर जीव संसार सागर से मुक्त नहीं हो सकता चाहे वह ब्रह्मा और शंकर के समान ही क्यों न हो। 
  • गुरु की महिमा वास्तव में शिष्य की दृष्टि से है, गुरु की दृष्टि से नहीं।
  • एक गुरु की दृष्टि होती है, एक शिष्य की दृष्टि होती है और एक तीसरे आदमी की दृष्टि होती है।
  • गुरु की दृष्टि यह होती है कि मैने कुछ नही किया। प्रत्युत जो स्वतः स्वाभाविक वास्तविक तत्व है, उसकी तरफ शिष्य की दृष्टि करा दी। तात्पर्य यह कि मैने उसी के स्वरुप का उसी को बोध कराया है। अपने पास से उसको कुछ दिया ही नहीं।
  • शिष्य की दृष्टि यह होती है कि गुरु ने मुझे सब कुछ दे दिया, जो कुछ हुआ है, सब गुरु की कृपा से ही हुआ है।
  • तीसरे आदमी की दृष्टि यह होती है कि शिष्य की श्रद्धा से ही उसको ज्ञान हुआ है। किन्तु असली महिमा उस गुरु की ही है, जिसने शिष्य को आत्मबोध कराया, आत्मज्ञान के मार्ग पर चलाया ।

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

  • गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और बाद में स्वच्छ वस्‍त्र धारण करें।
  • इसके बाद घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं।
  • इसके बाद ”गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये” मंत्र का जाप करें।
  • इसके बाद अपने गुरु या उनकी फोटो की पूजा करें।
  • यदि आप गुरुओं को सामने हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोएं। उन्हें तिलक लगाएं और फूल अर्पण करें।
  • अब उन्हें भोजन कराएं।
  • इसके बाद दक्षिणा देकर उनके पैर छुएं और उन्हें विदा करें।
  • आप चाहें तो इस दिन किसी ऐसे इंसान की भी पूजा कर सकते हैं, जिसे आप अपना गुरु मानते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें

  • यह पर्व श्रद्धा से मनाना चाहिए , अंधविश्वासों आधार पर नहीं ।
  • इस दिन वस्त्र , फल , फूल व माला अर्पण कर गुरु को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए क्योंकि गुरु का आशीर्वाद ही विद्यार्थी के लिए कल्याणकारी तथा ज्ञानवर्द्धक होता है ।
  • इस दिन केवल गुरु ( शिक्षक ) ही नहीं , अपितु जीवन में जिसे भी गुरु मानते हो उसकी पूजा करनी चाहिए । फिर वह चाहे आपके माता – पिता , बड़े भाई – बहन या कोई भी हो ।
  • अपने गुरुओं का स्मरण करें , उनसे उनके स्थान पर जाकर मिलें । अपने गुरुओं को विशेष होने का एहसास दिलाते हुए उनके समक्ष सम्मान का भाव प्रकट करें और उनसे आर्शीवाद ले ।
  • अगर आप सक्षम हो तो इस दिन गरीबों और निसहाय लोगों की मदद करें क्योंकि इनके आशीर्वाद से ही आप अपने जीवन में सफलता की हर ऊंचाई को प्राप्त कर सकते हैं जो आपका सपना है।

गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरुओं को भेजें ये मैसेज:Message for guru purnima

message for guru purnima : शास्त्रों में ‘गु’ का अर्थ अंधकार या मूल अज्ञान, और ‘रु’ का अर्थ उसका निरोधक, ‘प्रकाश’ बताया गया है। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन से निवारण कर देता है, अर्थात अंधकार से हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाला ‘गुरु’ ही है। गुरु तथा देवता में समानता के लिए कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी, क्योंकि यह सम्बन्ध आध्यात्मिक उन्नति एवं परमात्मा की प्राप्ति के लिए ही होता है।
आप गुरु पूर्णिमा के खास मौके पर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं देने के लिए इन खास संदेशों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

सही क्या है गलत क्या है ये सबक पढ़ाते है आप
झूठ क्या है और सच क्या है ये बात समझाते हैं आप
जब सूझता नहीं कुछ भी हमको तब राहों को सरल बनाते है आप

हीरे की तरह तराशा गुरु ने
जीवन को आसान बनाया गुरु ने
तुमने ही जीवन को राह दिखाई
तभी जीवन में सफलता आई

गुरु को पारस जानिए, करे लौह को स्वर्ण
शिष्य और गुरु जगत में, केवल दो ही वर्ण

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मेरे गुरु के चरणों में परनाम,
मेरे गुरु जी कृपा राखियो तेरे ही अर्पण मेरे प्राण..
गुरु पुर्णिमा की शुभकामनाएं

गुरु की महिमा है अगम, गाकर तरता शिष्य.
गुरु कल का अनुमान कर, गढ़ता आज भविष्य..
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

गुरु बिन ज्ञान नहीं,
ज्ञान बिन आत्मा नहीं,
ध्यान, ज्ञान, धैर्य और कर्म,
सब गुरु की ही देन हैं !!
शुभ गुरु पूर्णिमा

आपसे ही सीखा और जाना
आप को ही गुरुवर माना
सीखा सब आपसे हमने
कलम का आशय भी आपसे जाना
गुरुपूर्णिमा की बहुत बहुत बधाई

ज्ञान का महत्व बताया
अज्ञानता का मिटाया अधकार
गुरु ने बताया हमे
घ्रणा पर विजय है प्यार
गुरु पूर्णिमा की बहुत बहुत बधाई

सच क्या है झूठ क्या है ये ज्ञान कराते आप
असत्य क्या है और सत्य क्या है महत्व आप बताते
जब याद नही कुछ भी हमको तब राहो को सरल बनाते है आप
गुरु पूर्णिमा की बहुत बहुत बधाई

अक्षर ज्ञान ही नही, गुरु ने सिखाया जीवन ज्ञान।
गुरुमत्र को करे आत्मसात हो जाओ भवसागर से पार।।
गुरु पूर्णिमा की बहुत बहुत बधाई

गुरुवर का आशीष है अगम, गाकर तरता शिष्य।
गुरुदेव कल का अनुभव कर, गढ़ता आज भविष्य।।
गुरु पूर्णिमा की बहुत बहुत बधाई

गुरु आपके उपकार का,
कैसे चुकाऊं मैं मोल,
लाख कीमती धन भला,
गुरु है मेरा अनमोल,
Happy Guru Purnima

अक्षर ज्ञान ही नहीं, गुरु ने सिखाया जीवन ज्ञान,
गुरुमंत्र को कर आत्मसात हो जाओ भवसागर से पार !!
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

गुरु की महिमा है अगम, गाकर तरता शिष्य,
गुरु कल का अनुमान कर, गढ़ता आज का भविष्य !!
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

हीरे की तरह तराशा गुरु ने
जीवन को आसान बनाया गुरु ने
तुमने ही जीवन को राह दिखाई
तभी जीवन में सफलता आई
Happy Guru Purnima

शिल्पी छैनी से करे, सपनों को साकार,
अनगढ़ पत्थर से रचे, मनचाहा आकार।
माटी रख कर चाक पर, घड़ा घड़े कुम्हार,
श्रेष्ठ गुरु मिल जाय तो, शिष्य पाय संस्कार।
गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

गुरु को पारस जानिए, करे लौह को स्वर्ण।
शिष्य और गुरु जगत में, केवल दो ही वर्ण।।
गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

माता-पिता ने जन्म दिया पर,
गुरु ने जीने की कला सिखाई है,
ज्ञान चरित्र और संस्कार की,
हमने शिक्षा पाई है !!
शुभ गुरु पूर्णिमा

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