Information On Independence Day : 15 अगस्त 2022, सोमवार को पूरे भारत के लोगों द्वारा मनाया जायेगा। इस साल 2022 में भारत अपना 76वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। 15 अगस्त 1947 को भारत में प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। तब से प्रत्येक वर्ष भारत में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है। भारतीयों के लिये यह दिन किसी त्योहार से कम नहीं होता क्योंकी कई वर्षों की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से, 15 अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिली थी।
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भारत के स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
Information On Independence Day : यह बात है 17वीँ शताब्दी की जब कुछ यूरोपीय व्यापारियों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप की सीमा चौकी में प्रवेश किया गया। तब भारत में मुगल साम्राज्य का शासन था।
यूरोपीय व्यापारियों का मकसद था भारत में व्यापार करना लेकिन जब उन्होने भारत को बड़े करीब से जाना तब धीरे-धीरे उन्होने व्यापार के बहाने अपनी सैन्य ताकत बढ़ाई। फिर अपने विशाल सैन्य शक्ति की वजह से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को अपना गुलाम बना लिया और 18वीं शताब्दी के दौरान, पूरे भारत में अंग्रेजों ने अपना स्थानीय साम्राज्य और असरदार ताकत स्थापित कर लिया।
1857 में जब ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ने लगा तो उनके खिलाफ भारतीयों द्वारा एक बहुत बड़े क्रांति की शुरुआत की गई और वे काफी निर्णायक सिद्ध हुई।
1857 का विद्रोह, भारतीय बगावत, 1857 का पठान और सिपाहीयों का विद्रोह और कई ऐसे विद्रोह हुए, जो स्वतंत्रता के अभियान में मील का पत्थर साबित हुए और धीरे-धीरे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को इस बात का एहसास होने लगा कि उनका भविष्य खतरे में है।
1857 की बगावत एक असरदार विद्रोह था जिसके बाद पूरे भारत से कई सारे संगठन उभर कर सामने आए। उनमें से एक था भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी जिसका गठन वर्ष 1885 में हुआ। पूरे राष्ट्र में असंतोष और उदासी के काल ने अहिंसात्मक आंदोलनों (असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन) को बढ़ावा दिया जिसका नेतृत्व गांधी जी ने किया था।
लाहौर में 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में, भारत ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की। पूर्ण स्वराज की मांग को पूरा करने के लिये, राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा भारतीय नागरिकों से निवेदन किया गया कि वे सविनय अवज्ञा आंदोलन व आने वाले समय में किसी भी आंदोलन के आदेशों का पालन ठीक से करें।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1947 में ब्रिटिश सरकार आश्वस्त हो चुकी थी कि वो लंबे समय तक भारत में अपनी शक्ति नहीं दिखा सकती क्योंकि भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लगातार लड़ रहे थे और तब अंग्रेजों ने भारत को मुक्त करने का फैसला किया।
फ़रवरी 1947 में प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने ये घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार जून 1947 से ब्रिटिश भारत को पूर्ण आत्म-प्रशासन का अधिकार प्रदान करेगी। अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख को आगे बढ़ा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि, कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है। उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख के रूप में, द्वितीय विश्व युद्ध, में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह 15 अगस्त को चुना।ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत को दो राज्यों में विभाजित करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया व ये भी घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व दिया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा।
यूनाइटेड किंगडम की संसद के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 (10 और 11 जियो 6 सी. 30) के अनुसार 15 अगस्त 1947 से प्रभावी (अब बांग्लादेश सहित) ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान नामक दो नए स्वतंत्र उपनिवेशों में विभाजित किया और नए देशों के संबंधित घटक असेंबलियों को पूरा संवैधानिक अधिकार दे दिया।18 जुलाई 1947 को इस अधिनियम को शाही स्वीकृति प्रदान की गयी।
मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल बने जबकि पंडित जवाहर लाल नेहरु आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री। देश की राजधानी दिल्ली, में एक आधिकारिक समारोह रखा गया जहां सभी बड़े नेता और स्वतंत्रता सेनानियों (अबुल कलाम आजद, बी.आर.अंबेडकर, मास्टर तारा सिंह, आदि) ने इसमें भाग लेकर आजादी का पर्व मनाया।
स्वतंत्रता से पहले स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया गया? Information On Independence Day
Information On Independence Day : सन 1929 लाहौर सत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज घोषणा की और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में घोषित किया।
कांग्रेस ने भारत के लोगों से तथा स्वयं प्रतिज्ञा लिया कि जब तक पूर्ण रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति नहीं हो जाती तब तक समय-समय पर जारी किए गए कांग्रेस के निर्देशों का पालन करने के लिए अपने कार्यकर्ता तथा भारतीय जन लोगों से आग्रह किया।
इस तरह के स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन भारतीय नागरिकों के बीच राष्ट्रवादी ईधन झोंकने के लिये किया गया व स्वतंत्रता देने पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार को मजबूर करने के लिए भी किया गया।
कांग्रेस ने 1930 से लेकर 1950 के बीच 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसमें लोग मिलकर स्वतंत्रता की शपथ लेते थे। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में इनका वर्णन किया है कि ऐसी बैठकें किसी भी भाषण या उपदेश के बिना, शांतिपूर्ण व गंभीर होती थीं।
15 अगस्त 1947 की मध्यरात्री
Information On Independence Day : ‘संवैधानिक हाल’ नई दिल्ली में राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में 14 अगस्त को 11 बजे रात को संवैधानिक सभा की 5वीं बैठक रखी गई थी जहां जवाहर लाल नेहरु ने अपना भाषण दिया था।
15 अगस्त 1947 की मध्यरात्री, जवाहर लाल नेहरु ने भारत को स्वतंत्र देश घोषित किया जहां उन्होंने “ट्रीस्ट ओवर डेस्टिनी” भाषण दिया था। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि…
“कई सालों पहले, हमने नियति से एक वादा किया था, और अब समय आ गया है कि हम अपना वादा निभायें, पूरी तरह न सही पर बहुत हद तक तो निभायें। आधी रात के समय, जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा। ऐसा क्षण आता है, मगर इतिहास में विरले ही आता है, जब हम पुराने से बाहर निकल नए युग में कदम रखते हैं, जब एक युग समाप्त हो जाता है, जब एक देश की लम्बे समय से दबी हुई आत्मा मुक्त होती है। यह संयोग ही है कि इस पवित्र अवसर पर हम भारत और उसके लोगों की सेवा करने के लिए तथा सबसे बढ़कर मानवता की सेवा करने के लिए समर्पित होने की प्रतिज्ञा कर रहे हैं।… आज हम दुर्भाग्य के एक युग को समाप्त कर रहे हैं और भारत पुनः स्वयं को खोज पा रहा है। आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वो केवल एक क़दम है, नए अवसरों के खुलने का। इससे भी बड़ी विजय और उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं। भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना। हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा है कि हर आँख से आंसू मिटे। संभवतः ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों कि आंखों में आंसू हैं, तब तक हमारा कार्य समाप्त नहीं होगा। आज एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत जागृत और स्वतंत्र है। भविष्य हमें बुला रहा है। हमें कहाँ जाना चाहिए और हमें क्या करना चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम निर्धनता मिटा, एक समृद्ध, लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश बना सकें। हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को बना सकें जो प्रत्येक स्त्री-पुरुष के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके? कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं”।
इसके बाद, असेंबली सदस्यों ने पूरी निष्ठा से देश को अपनी सेवाएं देने के की कसमें खायी। भारतीय महिलाओं के समूह द्वारा असेंबली को आधिकारिक रुप से राष्ट्रीय ध्वज प्रस्तुत किया था। अत: भारत आधिकारिक रुप से स्वतंत्र देश हो गया और नेहरु तथा वायसराय लार्ड माउंटबेटन, क्रमश: प्रधानमंत्री और गवर्नर जनरल बने। महात्मा गांधी इस उत्सव में शामिल नहीं थे,वे कलकत्ता में रुके थे और हिन्दु तथा मुस्लिम के बीच शांति को बढ़ावा देने के लिये 24 घंटे का व्रत रखा था।
स्वतंत्रता दिवस उत्सव का पर्व | Information On Independence Day
- 15 अगस्त को भारत के राष्ट्रीय अवकाश के रुप में पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस को मनाया जाता है।
- इसे हर साल प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में पूरे उत्सुकता से देखा जाता है।
- स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले की शाम को “राष्ट्र के नाम संबोधन” में हर साल भारत के राष्ट्रपति भाषण देते है।
- 15 अगस्त को देश की राजधानी में पूरे जुनून के साथ इसे मनाया जाता है, जहां दिल्ली के लाल किले पर भारत के प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं।
- ध्वजारोहण के बाद, राष्ट्रगान होता है, 21 तोपों की सलामी दी जाती है तथा तिरंगे और महान पर्व को सम्मान दिया जाता है।
- स्वतंत्रता सेनानियों और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी थी सबको श्रद्धांजलि देने के बाद, स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण के दौरान भारत के प्रधानमंत्री पिछले साल की उपलब्धियों, महत्पूर्ण सामाजिक मुद्दो और उनके हल, देश के आगे का विकास, शिक्षा आदि को रेखांकित करते हैं।
- पैरामिलिट्री फोर्सेस और भारतीय सैनिकों द्वारा भव्य मार्च पास्ट किया जाता है।
- अलग-अलग राज्य में विभिन्न सांस्कृतिक परंपरा से स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया जाता है।
- जहां हर राज्य के मुख्यमंत्री राष्ट्रीय झंडे को फहराते हैं और प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ नभ मंडल की शोभा और बढ़ जाती है।
- लगभग सभी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान, शिक्षण संस्थान, कुछ निजी संस्थान आदि पूरे देश में ध्वजारोहण, राष्ट्रगान, परेड समारोह व दूसरे सांस्कृतिक कार्यक्रम होता हैं।
- इस दिन, सरकारी कार्यालय, बिल्डिंग आदि को रोशनी, फूलों और दूसरे सजावटी समानों से सजाया जाता है।
- अलग अलग लंबाई के झंडे द्वारा लोग देश के प्रति अपने समर्पण और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं।
- स्वतंत्रता दिवस को मनाने के दौरान आतंकवादी हमलों का बड़ा खतरा रहता है खासतौर से दिल्ली, मुम्बई तथा जम्मु-कश्मीर जैसे बड़े शहरों में।
- इसी वजह से इस अवसर पर हवाई हमलों से बचने के लिये लाल किले के आस-पास के क्षेत्र को “नो फ्लाई जोन” घोषित कर दिया जाता है।
- सुरक्षा कारणों से पूरे शहर में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जाती है। पूरे देश के लोगों के लिये इस कार्यक्रम का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया जाता है।
- इस अवसर को लोग अपने दोस्त, परिवार, और पडोसियों के साथ फिल्म देखकर, पिकनिक मनाकर, समाजिक कार्यक्रमों में भाग लेकर मनाते है।
- इस दिन पर बच्चे अपने हाथ में तिरंगा लेकर ‘जय जवान जय जय किसान’ और दूसरे प्रसिद्ध नारे लगाते हैं।
- कई स्कूलो में रूप सज्जा प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें छोटे-छोटे बच्चों को स्वतंत्रता सेनानियों की वेशभूषा में सुसज्जित होना, अत्यंत मनोरम लगता है।
स्वतंत्रता दिवस का महत्व और प्रतीक | Information On Independence Day
- Information On Independence Day : 1947 में ब्रिटिश शासन से भारत की आजदी को याद करने के लिये हम स्वतंत्रता दिवस को मनाते हैं। 15 अगस्त भारत के पुनर्जन्म जैसा है। यह वो दिन है जब अंग्रेजों ने भारत को छोड़ दिया और इसकी बागडोर हिन्दुस्तानी नेताओं के हाथ में आयी। ये भारतियों के लिये बेहद महत्वपूर्ण दिन है और भारत के लोग इसे हर साल पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं और आजादी के इस पर्व की शान में कभी कोई कमी नहीं आने देंगे और समस्त विश्व को यह याद दिलाते रहेंगे कि सादगी भारत की परिभाषा है कमजोरी नहीं। हम सह भी सकते हैं और जरूरत पड़ने पर लड़ भी सकते हैं।
- हालाँकि अंग्रेजों से आजादी पाना भारत के लिये आसान नहीं था; लेकिन कई महान लोगों और स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे सच कर दिखाया। अपने सुख, आराम और आजादी की चिंता किये बगैर उन्होंने अपने भावी पीढ़ी को एक स्वतंत्र भारत देने के लिये, अपना जीवन बलिदान कर दिया।
- पूर्ण स्वराज प्राप्त करने के लिये हिंसात्मक और अहिंसात्मक सहित इन्होंने कई आंदोलन आयोजित किये तथा उस पर कार्य किया। आजादी के बाद भारत से पाकिस्तान अलग बट गया जो कि हिंसात्मक दंगों को भी साथ लाया। अपने घरों से लोगों का विस्थापन (15 लाख लोगों से अधिक) और बड़ी संख्या में जन हानि की वजह से उस समय का माहौल बेहद डरावना था।
- इसीलिए ब्रिटिश साम्राज्य से देश की स्वतंत्रता को सम्मान देने के लिये पूरे भारत में राष्ट्रीय और राजपत्रित अवकाश के रुप में इस दिन को घोषित किया गया है। इस दिन सभी राष्ट्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकार के कार्यालय, बैंक, पोस्ट ऑफिस, बाजार, दुकानें, व्यापार, संस्थान आदि बंद रहते है। हालाँकि, सार्वजनिक परिवहन बिल्कुल प्रभावित नहीं होते। इसे बहुत उत्साह के साथ भारत की राजधानी दिल्ली में मनाया जाता है, जबकि स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक समुदाय तथा समाज सहित दूसरे शिक्षण संस्थानों में भी मनाया जाता है।
- भारत में पतंग उड़ाने का खेल भी स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक है, अनगिनत विभिन्न आकार, प्रकार और स्टाईल के पतंगों से भारतीय आकाश पट जाता है। इनमें से कुछ तिरंगे के तीन रंगो में भी होते हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित करते हैं। स्वतंत्रता दिवस का दूसरा प्रतीक नई दिल्ली का लाल किला है जहां 15 अगस्त 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगा फहराया था।
इस आर्टिकल से सम्बंधित आप के मन में उठ रहे कुछ सवालों के जबाब के बारे में अब जानेंगे
15 अगस्त 1947 में ब्रिटिश शासन से भारत की आजदी को याद करने के लिये हम स्वतंत्रता दिवस को मनाते हैं। 15 अगस्त भारत के पुनर्जन्म जैसा है। यह वो दिन है जब अंग्रेजों ने भारत को छोड़ दिया और इसकी बागडोर हिन्दुस्तानी नेताओं के हाथ में आयी। यह दिन हमे आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए त्याग और बलिदान की याद दिलाता है। इस दिन भारत को लंबे वर्षों के बाद ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली थी।
1857 में जब ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ने लगा तो उनके खिलाफ भारतीयों द्वारा एक बहुत बड़े क्रांति की शुरुआत की गई जो बहुत लम्बें समय तक चलती रही | द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1947 में ब्रिटिश सरकार आश्वस्त हो चुकी थी कि वो लंबे समय तक भारत में अपनी शक्ति नहीं दिखा सकती क्योंकि भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लगातार लड़ रहे थे और तब अंग्रेजों ने भारत को मुक्त करने का फैसला किया।
26 जनवरी 1930 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसी दिन जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगा फहराया था।
नई दिल्ली में आयोजित होने वाले विशेष समारोह में 15 अगस्त को ध्वजारोहण प्रधानमंत्री (Prime Minister) द्वारा किया जाता है जबकि 26 जनवरी को देश के राष्ट्रपति (President of India) झंडा फहराते हैं।
15 अगस्त 1982 को देश में पहली बार रंगीन प्रसारण सेवा शुरू हुई और लाल किले से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भाषण का सजीव प्रसारण हुआ।
भारत के स्वतंत्रता में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कुछ स्वतंत्रता सेनानियों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है:
महात्मा गांधी।
सुभाष चंद्र बोस।
लाला लाजपत राय।
भगत सिंह।
चंद्रशेखर आजाद।
मंगल पांडेय भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | वो ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे | भारत के स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी |
स्वतंत्रता शब्द का अंग्रेजी पर्याय ” लिबर्टी ” लेटिन भाषा का ” लिबर ” शब्द से बना है जिसका अर्थ मुक्त या स्वतंत्र या बन्धनों का अभाव होता है। लेकिन स्वतंत्रता का सही अर्थ प्रो. रूसो के अनुसार ” समाज मे व्यक्ति उस समय स्वतंत्र होता है जब वह अपने को सामान्य इच्छा के अधीन कर देता है।