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2022 में गणतंत्र दिवस पर भाषण republic day speech on hindi

हर साल 26 जनवरी को चाहे स्कूल हो या कॉलेज या आफिस सभी जगह लोग 26 जनवरी यानी कि गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में भाषण देते हैं। यदि आप भी 26 जनवरी को भाषण देना चहाते हैं। तो हमारा ये आर्टिकल आपके काम आएगा। इसे जरूर पढें।

भाषण शुरू करने के लिए सबसे पहले वहां उपस्थित सभी को अभिनंदन करें उसके बाद गणतंत्र दिवस पर भाषण में इस दिवस का परिचय दें, गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है। भारतीय संविधान की कुछ मुख्य बातों पर प्रकाश डालें। इसके बाद भारतीय गणतंत्र की स्थिति, इससे जुड़ी मुख्य समस्याओं पर प्रकाश डालें और इनके संभावित समाधान की बात करते हुए अपनी वाणी को विराम दें। गणतंत्र दिवस पर हिंदी में भाषण के लिए जरूरी जानकारी आगे दी जा रही है इसका अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार लाभ उठाएं।

गणतंत्र दिवस पर भाषण-1

आदरणीय मुख्य अतिथि, मेरे अध्यापकगण और मेरे साथियों…

आज यानि 26 जनवरी 2022 को भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। सबसे पहले मैं आपको बताना चाहता हूं कि गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है। दरअसल इस दिन ही हमारे देश को अपना संविधान मिला था। 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था। संविधान लागू होने के बाद हमारा देश भारत, एक गणतंत्र देश बन गया। इस के 6 मिनट बाद 10 बजकर 24 मिनट पर राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। इस दिन पहली बार बतौर राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बग्गी पर बैठकर राष्ट्रपति भवन से निकले थे।

यह संविधान ही है जो भारत के सभी जाति और वर्ग के लोगों को एक दूसरे जोड़े रखता है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। यह 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में तैयार हुआ था।

संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया, क्योंकि 1930 में इसी दिन कांग्रेस के अधिवेशन में भारत को पूर्ण स्वराज की घोषणा की गई थी।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर भव्य गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन होता है। राष्ट्रपति तिरंगा झंडा फहराते हैं। राष्ट्रगान और ध्वजारोहण के साथ उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है। अशोक चक्र और कीर्ति चक्र जैसे महत्वपूर्ण सम्मान दिए जाते हैं। राजपथ पर निकलने वाली झांकियों में भारत की विविधता में एकता की झलक दिखती है। परेड में भारत की तीनों सेना- नौ सेना, थल सेना और वायु सेना की टुकड़ी शामिल होती हैं और सेना की ताकत दिखती है।

आजादी मिलने और संविधान लागू होने के इतने बरसों बाद भी आज भारत अपराध, भ्रष्टाचार, हिंसा, नक्सलवाद, आतंकवाद, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा जैसी समस्याओं से लड़ रहा है। हम सभी को एक होकर इन समस्याओं को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। भारत को जब तक इस समस्याओं से बाहर नहीं निकालते तब तक स्वतंत्रता सेनानियों का सपना पूरा नहीं होगा। आइए आज हम सभी मिल कर सपथ ले कि अपने देश भारत को श्रेष्ठ और विकसित भारत बनाएं।
इसी के साथ मैं अपने भाषण का समापन करना चाहूंगा।
जय हिन्द!!!

गणतंत्र दिवस पर भाषण -2

यहां उपस्थित आप सभी को मेरी तरफ से सुप्रभात। मेरा नाम _____है। मैं कक्षा ….. का छात्र या शिक्षक हूँ। हम सब जानते हैं हम सब आज यहाँ एक विशेष अवसर पर एकत्र हुए हैं। आज के दिन को हम भारत के गणतंत्र दिवस के नाम से जानते हैं।

मैं आज के महान दिन पर आप सभी को भारत के गणतंत्र दिवस के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहता/चाहती हूँ। सबसे पहले मैं आप सभी लोगों का शुक्रिया करना चाहता/चाहती हूँ कि मुझे आप लोगों ने इस अद्भुत अवसर पर ये मौका दिया कि मैं यहां आपके सामने खडे होकर इस अवसर के बारे में और अपने प्यारे देश के विषय में कुछ शब्द बोल सकूँ।

हमारे देशभक्तों के त्याग, तपस्या और बलिदान की अमर कहानी 26 जनवरी का पर्व समेटे हुए है। उत्सर्ग और शौर्य का इतिहास भारत की भूमि पर पग-पग में अंकित है। किसी ने सच ही कहा है-

कण-कण में सोया शहीद, पत्थर-पत्थर इतिहास है।

हर साल 26 जनवरी हमारे देश के लिए बहुत खास दिन है। गणतन्त्र (गण+तंत्र) का अर्थ है, जनता के द्वारा जनता के लिये शासन। हमारे देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागु हुआ था। 26 जनवरी 1950 को हमारे देश भारत एक गणतंत्र देश बन गया था। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि सभी जाति एवं वर्ग के लोग इसको एक साथ मिलकर मनाते हैं। आप सभी को पता होगा कि रिपब्लिक या गणतंत्र का मतलब क्या होता है। अपने राजनीतिक नेता को चुनने का अधिकार देश में लोगों के ऊपर होता है। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने कड़ी मेहनत और संघर्ष करके ही भारत को पूर्ण स्वराज दिलाया है। उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया है उसका ही नतीजा है कि आज हम अपने देश भारत में आराम से रह रहें है।

देश के कुछ महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी नेताओं में इन महान नेताओं का नाम आता है। जैसे महात्मा गाँधी, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री इन स्वतंत्रता सेनानियों ने हमारे भारत देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान भी न्यौछावर कर दी थी। और उनके इन महान कामों के लिए ही आज भी उनका नाम भारत देश के इतिहास में लिखा है। न ही सिर्फ लिखा बल्कि आज भी देश का बच्चा बच्चा उनको याद करता है और उनके तरह बनना चाहता है। लगातार कई वर्षों तक इन महान लोगों ने ब्रिटिश सरकार का सामना किया और हमारे वतन को उनकी गुलामी से आज़ाद कराया। भारतवासी उनके इस बलिदान को कभी भी भुला नहीं सकते हैं। उन्ही के कारण आज हम अपने देश में आज़ादी से सांस ले रहे हैं।

हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि, ” हमने एक ही संविधान और संघ में हमारे पूर्ण महान और विशाल देश के अधिकार को पाया है। जो देश में रह रहे सभी पुरुषों और महिलाओं के कल्याण की जिम्मेदारी लेता है। यह बहुत ही शर्म की बात है कि आजादी के इतने वर्षों के बाद भी हम आज अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा जैसी समस्याओं से लड़ रहे हैं। अब समय आ गया है कि हमें दोबारा एक साथ मिलकर अपने देश से इन बुराइयों को बाहर निकाल फेंकना है जैसे कि स्वतंत्रता सेनानी नेताओं ने अंग्रेजों को हमारे देश से निकाल दिया था। हमें अपने भारत देश को एक सफल, विकसित और स्वच्छ देश बनाना होगा। हमें अपने भारत देश की गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता, आदि जैसे चीजों को अच्छी तरह समझना होगा और इनका हल निकालना होगा।

आओ मिल कर करे प्रतिज्ञा हम सब इस पावन गणतन्त्र दिवस पर,
हम सब बापू के आदर्शों को अपनायेगे नया समाज बनायेंगे,
भारत माँ के वीर सपूतों के बलिदानों को हम व्यर्थ न जानें देंगे,
जाति ,धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर नया समाज बनायेंगे।

मैं एक बार फिर आपको अपने भाषण को ध्यान से सुनने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं और मुझे आप सभी के सामने अपनी बात रखने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। और आपको भी बात करने का मौका देना चाहता हूं।
जय हिन्द! वन्दे मातरम!”

गणतंत्र दिवस पर भाषण- 3

आदरणीय प्रधानाचार्य जी मेरे सभी शिक्षकगण और मेरे प्यारे सहपाठियों जैसे की आप सभी को पता होगा की ,इस वर्ष भारत का 73वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। आज मैं आपको रिपब्लिक डे से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपके साथ साझा करना चाहता/चाहती हूँ।
26 जनवरी सन् 1950 को देश का संविधान लागू किया गया था उसी उपलक्ष में भारत देश के प्रत्येक नागरिक के द्वारा गणतंत्र दिवस को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है,गणतंत्र का अर्थ है जनता के द्वारा जनता के लिए शासन 26 जनवरी 1950 को हमारे देश भारत को गणतंत्र देश के रूप में घोषित किया गया था। सभी भारतीय नागरिको के द्वारा यह दिवस बिना भेद-भाव के मनाया जाता है ,हम सभी देश वासियों को भारत का नागरिक होने का गर्व है। समाज में, हमारी अलग जाति, धर्म या कई अन्य चीजें हैं जो हमें अलग करती हैं लेकिन इसकी एक व्यापक तस्वीर यह है की , हम सभी भारतीय हैं सभी भारतीयों के द्वारा एकजुट के रूप में गणतंत्र दिवस को मनाया जाता है। हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा जो अपने मेहनत और संघर्ष की आहुति दी गयी थी उसके कारण ही भारत को पूर्ण स्वराज दिलाया गया। और इसी दिन हम पूर्ण रूप से स्वाधीन हो गए थे। उन सभी महान स्वतंत्रता सेनानियों के कारण ही आज सभी भारतीय नागरिक अपने देश में स्वतंत्रता के साथ जी रहें है।

26 जनवरी 1950 को लार्ड माउन्ट बेटन (गवर्नर जरनल ) के स्थान पर डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी को भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। भारत वर्ष में यह दिवस बड़ी उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है हर साल भारत की राजधानी दिल्ली में भारत के उपराष्ट्रपति जी के द्वारा राजकीय सवारी निकाली जाती है। और भारतीय सेना जल थल और वायु सेना की राष्ट्पति जी के द्वारा सलामी ली जाती है। भारत के अनेक प्रांतो के लोकनिर्त्य और वेषभूषाओं और संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है। कई वर्षों तक भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा ब्रिटिश शासन का सामना किया गया। जिसके फलस्वरूप देश को उनके चंगुल से आजाद कराया गया उनके इस बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है।

गणतंत्र दिवस को एक विशेष पर्व के रूप में मनाने का मुख्य उद्देश्य है यह भारतीय संविधान का एक स्थापना दिवस है। इतिहास में भारतीय गणतंत्र दिवस का काफी रोचक है। इस उपलक्ष्य को गणतंत्र दिवस को एक सम्मान प्रदान करने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी के दिन विशेष प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह भारतीय नागरिकों के जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन है जो सभी को संविधान होने का महत्व समझाता है। भारत देश को एक लोकतान्त्रिक और गणतंत्र राष्ट्र के रूप में जाना जाता है भारत में जनता के मत अनुसार ही एक शासक को चुना जाता है। जिसके फलस्वरूप चुने गए शासक को सत्ता की कुर्सी पर बिठाया जाता है। अगर जनता चाहे तो वह सत्ता पे बिठाये नागरिक को उस पद से हटा भी सकते है इसी के आधार पर गणतांत्रिक देश में जनता का फैसला तर्कशील होता है।

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर उन सभी जवानों को भी पुरस्कार और पदक से सम्मानित किया जाता है जिनके द्वारा सशस्त्र बलों का प्रयोग करके आर्म फ़ोर्स को दर्शाया जाता है। भारत के प्रधानमंत्री जी के द्वारा इन सभी बहादुर युवाओं को सम्मानित किया जाता है। इस सम्मानित पुरस्कार में उन सभी बहादुर युवाओं को शामिल किया जाता है, जिन्होंने अन्य लोगो के जीवन को भी एक नया जीवनदान प्रदान किया है।

अब मैं अपने शब्दों को यही पर विराम देना चाहता/चाहती हूँ और सभी का भाषण सुनने के लिए तहे दिल से धन्यवाद करना चाहता/चाहती हूँ।
जय हिन्द, जय भारत!!

गणतंत्र दिवस पर भाषण- 4

यहां उपस्थित आदरणीय मुख्य अतिथि महोदय, सभाध्यक्ष महोदय, उपस्थित सज्जन, गुरुजन, मेरे सहपाठी भाइयों एवं बहनों आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

जैसा कि आप सभी को पता ही है कि हम सभी यहां इस पावन तिरंगे झंडे के नीचे भारतीय गणतंत्र दिवस का महोत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह केवल एक पर्व नहीं बल्कि हर भारतवासी के लिए गर्व और सम्मान की बात है।

हमारे लंबे और घटनापूर्ण इतिहास में यह सर्वप्रथम अवसर है, जब उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पश्चिम में काठियावाड़ तथा कच्छ से लेकर पूर्व में कोकनाडा और कामरूप तक यह विशाल देश सबका-सब इस संविधान और एक संघ राज्य के छत्रासीन हुआ है, जिसने इनके एक सौ सैतिश करोड़ नर-नारियों के कल्याण का उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लिया है। अब इसका प्रशासन इसकी जनता द्वारा और इसकी जनता के हितों में चलेगा। इस देश के पास अनंत प्राकृतिक सम्पत्ति साधन हैं और अब इसको वह महान अवसर मिला है, जब वह अपनी विशाल जनसंख्या को सुखी और सम्पन्न बनाए तथा संसार में शांति स्थापना के लिए अपना अंशदान करे।”
“हमारे गणतंत्र का यह उद्देश्य है कि अपने नागरिकों को न्याय, स्वतन्त्रता और समानता प्राप्त कराए तथा इसके विशाल प्रदेशों में बसने वाले तथा भिन्न-भिन्न आचार-विचार वाले लोगों में भाईचारे की अभिवृद्धि हो। हम सब देशों के साथ मैत्रीभाव से रहना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य है कि हम अपने देश में सर्वतोन्मुखी प्रगति करें। रोग, दारिद्रय और अज्ञानता के उन्मूलन का हमारा प्रोग्राम है। हम सब इस बात के लिए उत्सुक और चिंतित हैं कि हम पीड़ित भाइयों को, जिन्हें अनेक यातनाएं और कठिनाइयां सहनी पड़ी हैं और पड़ रही हैं, फिर से बसाएं और काम में लगाएं। जो जीवन की दौड़ में पीछे रह गए हैं, उनको दूसरों के स्तर पर लाने के लिए विशेष कदम उठाना आवश्यक और उचित है।
इन्हीं कुछ चन्द सब्दों के साथ मैं अपने भाषण का समापन करना चाहूंगा।
और आप सभी को एक बार फिर से गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई देता हूं।

गणतंत्र दिवस पर भाषण- 5

यहां उपस्थित सभी को दिल से अभिनंदन करता हूं तथा गणतंत्र दिवस की बधाई देता हूं।
आज हम इस मंच से कुछ मुद्दों पर आपसे अपना विचार शेयर करूंगा
तो सबसे पहले भारतीय संविधान का निर्माण पर बात करते हैं

भारतीय संविधान के निर्माण के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान प्रारूप समिति गठित की गई। 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन की मेहनत के बाद प्रारूप समिति द्वारा 26 नवंबर, 1949 को संविधान बनाकर तैयार किया गया, इस दिन (26 नवंबर, 1949) को भारतीय इतिहास में संविधान दिवस, राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसे संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंप दिया गया। यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसमें 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को स्वीकार किया गया पर इसे 26 जनवरी, 1950 से लागू करने का निर्णय लिया गया। इसका कारण यह है कि 26 जनवरी, 1930 को भारत को पूर्ण स्वराज घोषित कर दिया गया और इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई। इसके बाद हर वर्ष 26 जनवरी को भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। देश को आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी की यादों को बनाए रखने के लिए इसी दिन भारतीय संविधान को लागू करने का फैसला किया गया।

संविधान की मुख्य बातें

हमारा संविधान लिखित और निर्मित होने के साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। इसमें विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों की अच्छी बातों को जगह दी गई है। संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ली गई है तो मौलिक अधिकार अमेरिका के संविधान से और मौलिक कर्तव्य पूर्व सोवियत संघ से, राज्य के नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड से तो सशोधन प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीका के संविधान से। वयस्क मताधिकार की व्यवस्था भारतीय संविधान में की गई है। संविधान देश में एकीकृत और स्वतंत्र न्यायप्रणाली की व्यवस्था करता है। ऐसी बहुत सी खूबियां हैं जिनको नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भारतीय संविधान में जगह दी गई है। यह अपने आप में संपूर्ण है।

देश के सामने मौजूद चुनौतियां

भारतीय गणतंत्र के समक्ष बहुत सी चुनौतियां मुंह फैलाए आज हमारे सामने खड़ी हैं जैसे –

1. भ्रष्टाचार

देश में आजादी के बाद से ही भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है, स्थिति बेहद निराशाजनक होती जा रही है। जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। अधिकांश नेता, मंत्री, सरकारी अफसर, कर्मचारी जिनके पास जिम्मेदारियां हैं वे उनका ईमानदारी से निर्वाह नहीं कर रहे हैं। हर कोई गलत तरीके से पैसे कमाने को लालायित है। जनता की सेवा से जुड़े राजनीति के क्षेत्र में अपराधियों और भ्रष्ट लोगों का जमावड़ा है। अपराधियों और भ्रष्ट नेताओं से न देश और समाज का कभी भला हुआ है और न ही होगा।

2. सांप्रदायिकता

भारतीय संविधान में देश को धर्मनिरपेक्ष रखा गया ताकि देश के सब नागरिक समान हों, किसी के साथ भेदभाव न हो, लेकिन राजनैतिक दलों ने इसके ताने-बाने को उधेड़कर रख दिया है। राजनैतिक दल सत्ता के लालच में समाज को धर्म और जातियों में बांटने की नीति चलाते हैं। जिसके चलते विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच मनमुटाब बढ़ रहा है जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है।

3. खराब स्वास्थ्य सेवा

तेजी से अपने पैर पसारती कोरोना और भी ऐसे महामारी के कारण लाखों लोग असमय काल के गाल में समा गए। रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे विषयों की सरकारों द्वारा अनदेखी का नतीजा यह है कि मरीजों के लिए अस्पताल में बेड तक नहीं हैं। ऑक्सीजन की कमी के चलते लोग दम तोड़ रहे हैं। लोगों को समुचित इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया है। लोकतंत्र की आत्मा, जनता रामभरोसे है।

बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, आतंकवाद, नक्सलवाद, राजनीति का अपराधीकरण, निर्माण क्षेत्र की अनदेखी, किसानों को फसलों का उचित मूल्य न मिलना ऐसी बहुत सी समस्याएं हैं जो हमारे आस-पास नजर आ जाएंगी। समस्याओं का समाधान करने की दिशा में शासन-प्रशासन तंत्र नाकाम रहा है।

आज हमें हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर भाषण सुनने को मिलते हैं, उनमें देश की समस्याओं का जिक्र होता है और गौर करेंगे तो पता चलेगा कि ये समस्याएं आज की नहीं हैं ये कई दशकों से देश में मौजूद हैं और स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर दिए जाने वाले भाषणों, निबंधों में इनका जिक्र होता रहा है पर समाधान अब तक नहीं हो सका है। नेता, मंत्री, अफसरों के द्वारा गणतंत्र दिवस पर भाषण दिए जाते हैं पर जब देश, समाज और जनता के कल्याण के लिए काम करने की बात आती है तो सब नाकाम नजर आते हैं। स्थिती तो यह है कि कई वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद जब सरकारें बदलती हैं तो पता लगता है कि देश, प्रदेश, समाज, पंचायत का विकास तो नहीं हुआ पर उनके प्रतिनिधियों की संपत्ति में जरूर कई गुना वृद्धि हो चुकी होती है।

देश की समस्याओं को दूर करने के लिए वर्तमान व्यवस्था में व्यापक बदलाव की जरूरत है। भ्रष्टाचार हर समस्या की एकमात्र जड़ है। इसको अगर खत्म कर दिया जाए तो धीरे-धीरे बाकी सब समस्याएं कम होने लगेंगी। देश की राजनैतिक व्यवस्था में भी सुधार की भारी जरूरत है। इसके लिए राजनैतिक दलों को अपनी कार्यशैली बदलनी होगी और कर्मठ और ईमानदार लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाना होगा। लोकतंत्र के सभी स्तंभों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को अपनी भूमिका का अच्छे से निर्वहन करना होगा। इसके अलावा चौथा स्तंभ माने जाने वाले प्रेस को भी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी होगी। हर आदमी लोकतंत्र का हिस्सा है और सबको अपनी भूमिका का निर्वहन अच्छे से करना होगा तभी भारतीय लोकतंत्र सच्चे अर्थों में सफल हो पाएगा वरना स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर दिए जाने वाले भाषणों में इससे जुडे मुद्दे उठेंगे और उसके बाद फिर वर्ष भर लोकतंत्र में जनता पिसती रहेगी और रखवाले सोते रहेंगे। ऐसी स्थिति ना आ पाए इसलिए आइए हम सब आज यह प्रण करें कि संविधान के अनुरूप आचरण करेंगे और देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाएंगे।

इसी के साथ मैं अपने भाषण को समाप्त करना चाहूंगा
जय हिंद, जय भारत!

संविधान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • 02 भाषाओं हिंदी और इंग्लिश में संविधान की मूल प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखी, कॉपी हस्तलिखित और कैलीग्राफ्ड थी ।
  • 06 महीने की अवधि में लिखे गए संविधान में टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया ।
  • 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे संविधान लागू होने के समय ।
  • 284 सदस्य थे इस संविधान को बनाने वाली समिति में, जिन्होंने 24 नवंबर 1949 को संविधान पर दस्तखत किए थे। इसमें से 15 महिला सदस्य थीं।
  • 395 अनुच्छेद वाला हमारा पूरा संविधान हाथ से लिखा गया था।
  • भारतीय संविधान की पांडुलिपि एक हजार से ज्यादा साल तक बचे रहने वाले सूक्ष्मजीवी रोधक चर्मपत्र पर लिखकर तैयार की गई है। पांडुलिपि में 234 पेज हैं जिनका वजन 13 किलो है।
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