हम इस आर्टिकल में भारतीय सेना (Indian army) में उपयोग हो रहे निर्भय मिसाइल (Nirbhay Missile) के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में जानेंगे तो आइए जानते हैं ‘Nirbhay Missile’ के विशेष विवरण (full specifications) के बारे में
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निर्भय मिसाइल क्या है(What Is Nirbhay Missile In Hindi)?
निर्भय सभी मौसम में काम करने वाली, कम लागत, लंबी दूरी की परंपरागत और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम क्रूज मिसाइल है। जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO),टाटा मोटर्स लिमिटेड ने भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग के लिए विकसित किया है।
विशेष विवरण ( Nirbhay Missile Specifications In Hindi)
प्रकार (Type) | लंबी दूरी की, सभी मौसम वाली, सबसोनिक क्रूज मिसाइल (Long-range, all-weather, subsonic cruise missile) |
उत्पत्ति का स्थान (Place of origin) | भारत (India) |
सेवा में (In service) | 2020 लिमिटेड की तैनाती |
उत्पादक (Manufacturer) | रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, टाटा मोटर्स लिमिटेड |
द्रव्यमान (Mass) | 1,500 किलोग्राम |
लंबाई (Length) | 6 मीटर (20 फीट) |
व्यास (Diameter) | 0.52 मीटर (1.7 फीट) |
वारहेड (Warhead) | पारंपरिक या परमाणु (Conventional or Nuclear (200-300 kg)) |
यन्त्र (Engine) | पहला चरण: ठोस रॉकेट बूस्टर(Solid rocket booster) दूसरे चरण: टर्बोफैन(Turbofan) टर्बोजेट(Turbojet) |
विंगस्पैन (Wingspan) | 2.7 मीटर (8.9 फीट) |
आगे ठेलने या ढकेलने वाला (Propellant) | पहला चरण: ठोस ईंधन (Solid fuel) दूसरा चरण: तरल ईंधन (Liquid fuel) |
रेंज (range) | 1,000 किमी (620 मील) तक |
अधिकतम गति (Max. speed) | Mach 0.6–Mach 0.7 |
मार्गदर्शन प्रणाली (Guidance system) | मिड-कोर्स: रिंग लेजर गायरो इनरट्रियल नेविगेशन सिस्टम और एमईएमएस जाइरोस्कोप। GPS / NavIC उपग्रह मार्गदर्शन द्वारा संवर्धित टर्मिनल: सक्रिय रडार होमिंग |
प्रक्षेपण मंच (Launch platform) | भूमि आधारित मोबाइल लॉन्चर |
ट्रांसपोर्ट (Transport) | Tata LPTA 5252-12 X12 हाई मोबिलिटी वाहन |
परिचय (Introduction Of Nirbhay Missile)
मिसाइल को स्वदेशी अनुसंधान केंद्र (आरसीआई) द्वारा विकसित एक अति उन्नत जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और ऊंचाई निर्धारण के लिए रेडियो तुंगतामापी (ऑलटीमीटर) द्वारा निर्देशित किया जाता है।
मिसाइल 6 मीटर लंबी है व वज़न लगभग 1500 किलो है।
इसकी सीमा 1000 किलोमीटर से अधिक है।
मिसाइल को टेक ऑफ के लिए ठोस रॉकेट बूस्टर द्वारा संचालित किया जाता है।
निर्भय कई लक्ष्यों के बीच हमला करने में सक्षम है।
जिसे उन्नत प्रणाली प्रयोगशाला (एएसएल) द्वारा विकसित किया गया है। आवश्यक वेग और ऊंचाई तक पहुँचने पर, मिसाइल में टर्बोफैन इंजन प्रणोदन (इग्निशन) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
दो पंख के साथ, मिसाइल विभिन्न ऊंचाई 500 मीटर से लेकर 4 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है।
मिसाइल में मंडराने की क्षमता है। जिससे यह कई पैंतरेबाज़ी प्रदर्शन कर सकती है।
यह दुश्मन के रडार द्वारा पता लगाने से बचने के लिए नीची ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है।यह मिशन की आवश्यकताओं के आधार पर अलग-अलग प्रकार के 24 हथियारो को वितरित करने में सक्षम है और यह मार्गदर्शन के लिए जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करती है।
यह मिसाइल ब्रह्मोस मिसाइल की कमी को पूरा करती है क्योंकि ब्रह्मोस मिसाइल की सीमा 290 किलोमीटर है और यह उससे अधिक दूर तक जा सकती है।
निर्भय मिसाइल का विकास और परीक्षण
निर्भय मिसाइल(Nirbhay Missile), वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई), बेंगलुरू द्वारा विकसित की गई है।
वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान, डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला है।
डिजाइन को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, मिसाइल के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी को विकसित किया गया था।
भारत के निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा वाहन ने निर्भय प्रणाली के लिए कैरियर/लांचर बनाया और यह “स्वदेशी हाई मोबिलिटी, ऑल टरेन और ऑल व्हील ड्राइव टाटा LPTA 5252-12 X 12 वाहन” पर आधारित है।
इसको अनुसंधान एवं विकास (R&D) इंजीनियर, पुणे, डीआरडीओ की एक विशेष शाखा द्वारा एकीकृत किया गया।
इसे डीआरडीओ के साथ भागीदारी में विकसित किया गया है।
मिसाइल (Nirbhay Missile) की पहली परीक्षण उड़ान के लिए अक्टूबर 2012 में योजना बनाई गई थी लेकिन प्रक्षेपण लांचर के परिवर्तन के कारण दिसंबर तक स्थगित कर दिया गया।
विजय कुमार सारस्वत, डीआरडीओ के महानिदेशक ने बाद में कहा कि मिसाइल (Nirbhay Missile) का परीक्षण फरवरी 2013 में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देरी विकास की कुछ प्रक्रियाओं के वजह से हुई है।
डीआरडीओ ने उम्मीद की कि मिसाइल फ़रवरी में परीक्षण के बाद 12 से 18 महीनों के भीतर उत्पादन करने के लिए तैयार हो जायेगी।
मीडिया में आई खबरों के मुतबिक मिसाइल कई परीक्षण विफलताओं के कारण रद्द की गई। लेकिन बाद में खबर मिली कि परियोजना को 18 महीने (जून 2018 तक) का एक्सटेंशन सभी बकाया मुद्दों को ठीक करने के लिए दिया गया है।
प्रथम परीक्षण
निर्भय मिसाइल (Nirbhay Missile) के सतह संस्करण (ग्राउंड वर्ज़न) का परीक्षण पहली बार ओडिशा के बालासोर जिले में चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से 12 मार्च 2013 को किया गया।
अपनी पहली उड़ान में मिसाइल बंगाल की खाड़ी में 1000 किमी की दूरी पर स्थित एक स्थिर लक्ष्य को भेदने वाली थी।
मिसाइल ने सफलतापूर्वक लांच पैड से उड़ान भरी और प्रणोदन (इग्निशन) के दूसरे चरण में पहुंच, 0.7 मैक की रफ्तार से अपनी 15 मिनट के परिकल्पित पथ की यात्रा की।
उसके बाद यह अपनी प्रक्षेपवक्र (ट्रजेकट्री) से दूर मुड़ गई। जिसने इंजन को मिसाइल के उड़ान के मध्य रास्ते में मिसाइल में ही अलग करने के लिए कमांड सेंटर मजबूर कर दिया।
यह मिसाइल को तटीय क्षेत्रों से टकराने के जोखिम से बचने के लिए किया गया था। मिसाइल को जानबूझकर उड़ान के मध्य में नष्ट कर दिया गया था।
परीक्षण को एक आंशिक सफलता के रूप देखा गया क्योंकि मिसाइल ने सफलतापूर्वक लांच पैड से उड़ान भरी, प्रणोदन के दूसरे चरण में पहुंची और अपनी सीमा की 30% यात्रा की।
अपनी राह से हटने से पहले मिशन के ज्यादातर उद्देश्यों को प्राप्त कर लिया गया था। डीआरडीओ ने समस्या का पता लगाया।
जो दोषपूर्ण जड़त्वीय (इनरशिअल) नेविगेशन प्रणाली में थी। जिसे बाद में परीक्षण द्वारा सही कर लिया था।
दूसरा परीक्षण
निर्भय मिसाइल (Nirbhay Missile) का दूसरा लांच फरवरी-मई 2014 के लिए निर्धारित किया गया था।
लेकिन बाद में यह अक्टूबर 2014 तक स्थगित हो गया। अक्टूबर में कुछ देरी हुदहुद चक्रवात के कारण भी हुई।
17 अक्टूबर 2014 को, मिसाइल के सतह संस्करण का परीक्षण फिर से एक बार ओडिशा के बालासोर जिले में चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया और इस बार परीक्षण सफल रहा था।
मिसाइल ने परीक्षण के सभी 15 मापदंडों को पूरा किया।
मिसाइल 1000 किलोमीटर से अधिक और 1 घंटे, 10 मिनट की अवधि के लिए चली।
मिसाइल को जमीन आधारित रडार की मदद से ट्रैक किया गया और मिसाइल के स्वास्थ्य मानकों पर डीआरडीओ के आईटीआर और एलआरडीई (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार विकास स्थापना) के टेलीमेटरी स्टेशनों द्वारा निगरानी की गई।
भारतीय वायु सेना के लड़ाकू जेट जगुआर ने मिसाइल की उड़ान के दौरान उसका पीछा करके उसकी उड़ान की वीडियो बनायीं।
तीसरा परीक्षण
मिसाइल (Nirbhay Missile) का तीसरा टेस्ट 16 अक्टूबर 2015 को हुआ।
मिसाइल का नीची उड़ान क्षमता के लिए परीक्षण किया जा रहा था। उड़ान में मिसाइल को 4800 मी से धीरे-धीरे 20 मीटर की दूरी पर लाना था। एसयू -30 एमकेआई विमान ने उड़ान को वीडियो टेप किया।
रक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मिसाइल को 11:38 IST पर लांच किया गया और इसके सभी शुरुआती आवश्यक ऑपरेशन सफल रहे।
मिसाइल बंगाल की खाड़ी में अपनी 1000 किमी रेंज में से केवल 128 किमी कवर करने के बाद 11 मिनट की उड़ान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
चौथा परीक्षण
मिसाइल (Nirbhay Missile) का चौथा टेस्ट 21 दिसंबर 2016 को एकीकृत परीक्षण रेंज के प्रक्षेपण परिसर-III (आईटीआर) बालासोर,ओडिशा में 11:56 IST पर किया गया।
वहाँ परीक्षण के परिणाम पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया, हालांकि समाचार रिपोर्टों के अनुसार परीक्षण सफल नहीं था।
पहले चरण में बूस्टर इंजन ने काम शुरू किया और इसके लांचर ने मिसाइल को ऊपर उठाया लेकिन मिसाइल ने लिफ्ट बंद होने के दो मिनट बाद एक ही ओर को खतरनाक तरीके से मुड़ना शुरू कर दिया और अपने सुरक्षा गलियारे के बाहर मुड़ गई। इसके कारण, मिसाइल परीक्षण को निरस्त करना पड़ा और इसे दूर से नष्ट कर दिया गया। मिसाइल की विफलता के लिए एक संभावित कारण एक हार्डवेयर की समस्या को बताया गया।
पांचवां परीक्षण
मिसाइल (Nirbhay Missile) का पाँचवाँ सफल परीक्षण 7 नवंबर 2017 को ओडिशा के बालासोर में लॉन्च कॉम्प्लेक्स- III ऑफ़ इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से 11:20 IST के आसपास हुआ।
उड़ान परीक्षण एक सफलता थी और सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया। परीक्षण के दौरान, मिसाइल ने 50 मिनट की अवधि में 647 किमी की दूरी तय की, जो कि ग्राउंड आधारित रडार और टेलीमेट्री स्टेशनों द्वारा ट्रैक की गई थी।
मिसाइल के इस परीक्षण में टर्बोफैन इंजन के बजाय टर्बोजेट इंजन का इस्तेमाल किया गया था |
छठा परीक्षण
छठा सफल परीक्षण 15 अप्रैल, 2019 को हुआ था।
डीआरडीओ ने स्पष्ट किया कि मिशन के सभी उद्देश्य पूरे हुए हैं।
इस परीक्षण ने मिसाइल के विकास संबंधी परीक्षणों को पूरा किया। परीक्षणों का अगला सेट उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार आयोजित किया जाएगा |
सातवां परीक्षण
सातवां परीक्षण 12 अक्टूबर, 2020 को व्हीलर द्वीप से सुबह 10:30 बजे हुआ |
प्रक्षेपण के 8 मिनट बाद इस परीक्षण को समाप्त कर दिया गया और मिसाइल एक तकनीकी गड़बड़ के कारण खुले पानी में गिर गई, जिसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। जीटीआरई विकसित एसटीएफई क्रूज मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। डीआरडीओ को आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद कुछ महीनों में निर्भय के फिर से उड़ान भरने की उम्मीद है |
तैनाती (Deployment)
भारत ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीनी आक्रमण को रोकने के लिए मिसाइल ब्रह्मोस और आकाश के साथ-साथ अपनी लंबी दूरी की मिसाइल निर्भय तैनात की है।
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