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सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान की खासियत-Sukhoi-30 MKI specifications

सुखोई- 30 जेट को ब्रह्मोस (हवा से सतह पर मार करने वाली) मिसाइलों को ले जाने के लिये संशोधित किया गया है। दुनिया में अपने तरह की एकलौती और अनोखी क्षमता है जो चीन समेत किसी अन्य देश के पास नहीं है।आज हम सुखोई-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) लड़ाकू विमान की खासियत और विशेष विवरण(specifications) तथा इसके विशेषताओं (features) के बारे में डिटेल्स में इस आर्टिकल में जानेंगे

उत्पत्ति का देश रशिया / भारत
उत्पादक हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड( under licence from Sukhoi)
प्रथम उड़ान भारतीय वायिसेना एसयू-30: 01/07/1997
प्राथमिक उपयोक्ता भारतीय वायुसेना
निर्मित इकाई 272
इकाई लागत ₹ 358 करोड़ 2014 में
चालक दल 2
लंबाई 21.935 मीटर (72 फीट 0 इंच)
विंगस्पैन 14.7 मीटर (48 फीट 3 इंच)
ऊंचाई 6.36 मीटर (20 फीट 10 इंच)
विंग क्षेत्र 62 मीटर 2 (670 वर्ग फुट)
खाली वजन 18,400 किलोग्राम
कुल वजन 26,090 किलोग्राम
अधिकतम टेकऑफ़ वजन 38,800 किलोग्राम
पावरप्लांट 2 × Lyulka अल 31FP afterburning टर्बोफैन इंजन, 123 केएन (28,000 lbf) ऑफ़्टरबर्नर साथ
अधिकतम गति उच्च ऊंचाई पर 2,120 किमी / घंटा /एम 2.0
कम ऊंचाई पर 1,350 किमी / घंटा / M1.09
रेंज ऊँचाई पर 3,000 किमी (1,900 मील, 1,600 एनएम)
कम ऊंचाई पर 1,270 किमी (790 मील; 690 एनएमआई)
फेरी रेंज 8,000 किमी (5,000 मील, 4,300 एनएम) जिसमें दो इन-फ्लाइट रिफ्यूलिंग
Service ceiling 17,300 मीटर (56,800 फीट)
चढ़ाई की दर 300 मीटर / (59,000 फीट / मिनट) +
विंग लोडिंग 401 किग्रा / मी^ 2
बंदूकें 1 × 30 मिमी ग्रीज़ेव-शिपुनोव जीएसएच -30-1 ऑटोकैनन
Hardpoints 12 हार्डपॉइंट (2 × विंग-टिप एएएम लॉन्च रेल, 6 × तोरण अंडर-विंग, 2 × तोल-इंजन नैकलैस, और इंजनों के बीच “आर्क” में अग्रानुक्रम में 2 × तोरण।
मल्टीपल इजेक्टर रैक का उपयोग करके इसे 14 तक बढ़ाया जा सकता है। 8,130 किलोग्राम (17,920 पाउंड) तक की क्षमता के साथ
रॉकेट्स 4 × एस -8
4 × एस -13
हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल 10 × आर -77
10 × I-डर्बी ईआर [124]
10 × एस्ट्रा एमके 1
6 × आर -27 ईआर / ईटी
2 × आर -27 आर / टी
6 × आर -73
3 × के -100
हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें 3 × Kh-59ME
6 × Kh-29T/L
2 × निर्भय (Future)
जहाज रोधी मिसाइलें 3 × Kh-59MK
4 × Kh-35
6 × Kh-31A
1 xब्रह्मोस
एंटी-रेडिएशन मिसाइलें 6 × डीआरडीओ एंटी-रेडिएशन मिसाइल (रुद्रम -1)
6 × Kh-31P
बम 8 × KAB-500L लेजर-निर्देशित बम
3 × KAB-1500L लेजर-निर्देशित बम
3 × सुदर्शन लेजर गाइडेड बम
8 × FAB-500T बम
28 × OFAB-250-270 बम
32 × OFAB-100-120 बम
8 × आरबीके -500 क्लस्टर बम
20 × DRDO ने बम विस्फोट किए
अन्य

सुखोई-30 एमकेआई(Sukhoi-30 MKI) फाइटर प्लेन की कुछ खास बातें

  1. सुखोई 30 एमकेआई(Sukhoi-30 MKI) भारतीय वायुसेना का अग्रिम पन्क्ति का लड़ाकू विमान है। इसके नाम में स्थित एम के आई(MKI) का विस्तार मॉडर्नि रोबान्बि कॉमर्स्कि इंडिकि है यानि आधुनिक व्यावसायिक भारतीय (विमान)।
  2. यह रूस के सुखोई और भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से निर्मित लंबी दूरी का फॉइटर जेट है।
  3. यह एक बार में 3000 किमी. तक की दूरी तय कर सकता है तथा इसमें हवा में ही ईधन भरा जा सकता है।
  4. रूसी सुखोई एसयु-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) भारतीय वायुसेना में एक ताकतवर एयरक्राफ्ट माना जाता है। भारतीय वायुसेना के पास 272 सक्रिय सुखोई एसयु-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) हैं, इस एयरक्राफ्ट में दो इंजन हैं और दो चालको के बैठने की जगह है। इनमें से कुछ एयरक्राफ्ट को सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस को लॉन्च करने के लिए भी अपग्रेड किया गया है।
  5. सुखोई विमान 3,000 किलोमीटर तक हमला कर सकता है। जबकि इसकी क्रूज रेंज 3,200 किलोमीटर तक है और कॉम्बेट रेडियस 1,500 किलोमीटर है। वजन में भारी होने के बावजूद यह लड़ाकू विमान अपनी तेज़ गति के लिये जाना जाता है। यह विमान आकाश में 2,120 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज रफ्तार से फर्राटा भर सकता है।
  6. रूस में निर्मित Sukhoi Su-30MKI उड़ान के दौरान ही फ्यूल भर सकता है। इस फाइटर प्लेन में 12 टन तक युद्धक सामग्री लोड की जा सकती है। इस विमान में भी रफाल की तरह डबल इंजन लगे हुए हैं जो इमरजेंसी की स्थिति में पायलट को मदद करते हैं।
  7. रूस के सहयोग से भारत (Made In India) द्वारा निर्मित सुखोई-30 एमकेआई(Sukhoi-30 MKI) को दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में एक माना जाता है। इसे बनाने के लिए भारत और रूस के बीच 2000 में समझौता हुआ था। भारत को पहला सुखोई-30 विमान 2002 में मिला था।
  8. रूस के सहयोग से भारत ने 2015 में स्वेदश निर्मित सुखोई-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) को भारतीय वायुसेना में शामिल करके अपनी ताकत कई गुना बढ़ा ली।
  9. इस विमान में है ऑटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्‍टम
  10. लंबाई से लेकर रेंज और मिसाइल ले जाने की क्षमता तक के मामले में सुखोई-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI)को अमेरिका F-16 से बेहतर माना जाता है। इसमें सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा है, जो इसे किसी भी मौसम में दिन और रात दोनों वक्त काम करने के काबिल बनाता है। साथ ही इसमें लॉन्ग रेंज रेडियो नेविगेशन सिस्टम है। इसमें ऑटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम है। ऑटोमेटिक सिस्टम से नेविगेशन सिस्टम को जानकारी मिलते ही यह खुद ही फ्लाइट के रूट से जुड़ी समस्‍याओं को ही सुलझा लेता है। इसमें टारगेट को नेस्तनाबूद करने के साथ ही वापस अपने एयरफील्ड तक लैंडिंग करना शामिल है।
  11. सुखोई- 30 जेट को ब्रह्मोस (हवा से सतह पर मार करने वाली) मिसाइलों को ले जाने के लिये संशोधित किया गया है, जिससे उन्हें लंबी दूरी के सटीक हमले करने की क्षमता मिलती है।
  12. वर्ष 2014 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited- HAL) और ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BrahMos Aerospace Pvt Ltd- BAPL) ने मिसाइल के साथ एकीकरण के लिये दो सुखोई- 30 एमकेआई विमानों को संशोधित करने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे।
  13. यह दुनिया में पहली बार था जब किसी लड़ाकू विमान में इतनी भारी वज़न वाली मिसाइल को एकीकृत किया गया।
  14. 2.5 टन वाली ब्रह्मोस मिसाइल सुखोई- 30 MKI लड़ाकू विमान पर स्थापित किया जाने वाला सबसे भारी हथियार है।
  15. भारतीय एयरफोर्स के लड़ाकू विमानों में Su30MKI की संख्‍या सबसे ज्‍यादा है। नासिक की HAL(Hindustan Aeronautics Limited) फैक्‍ट्री में अभी भी एडिशनल जेट्स बन रहे हैं और अगले 2-3 साल तक बनते रहेंगे। बाकी Su30s से भारत का वर्जन बहुत अलग है क्‍योंकि इसे IAF की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है
  16. भारत के लिए जो MKI लड़ाकू विमान बनते हैं, उनमें एडवांस्‍ड इजरायली एवियॉनिक्‍स का यूज होता है। इसके अलावा इनमें एक इलेक्‍ट्रॉनिक वारफेयर सिस्‍टम भी होता है जो इन्‍हें बाकी Su30s से अलग बनाता है। भारतीय Su30MKI ने ब्रह्मोस मिसाइल को सफलतापूर्वक लॉन्‍च किया है।
  17. यूं तो हर Su30 में रूस की R73/77 मिसाइल्‍स होती हैं, लेकिन भारतीय वर्जन में अब लंबी रेंज वाली ‘अस्‍त्र’ मिसाइल भी होगी। बियॉन्‍ड विजुअल रेंज की यह मिसाइल डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने बनाई है। इससे फाइटर जेट को बिना लिमिटेड रेंज की टेंशन लिए टारगेट को उड़ाने की क्षमता मिलेगी।
  18. सुखोई की बात करें तो वायुसेना ने जनवरी 2020 में सुपरसोनिक ब्रह्मोस-ए क्रूज मिसाइल से लैस Su-30MKI के अपने पहले स्क्वाड्रन को तंजावुर वायु सेना स्टेशन पर तैनात किया है। सुखोई जेट के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह भारतीय वायुसेना का एकमात्र लड़ाकू विमान है जो ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम है।
  19. IAF को Su-30MKI प्रदान करने के पहले अनुबंध पर 30 नवंबर 1996 को हस्ताक्षर हुए थे। इसके बाद 32 अन्य विमानों पर बात हुई, जो 2002-2004 में निर्मित किए गए। सुखाई विमान जल्द ही भारतीय वायुसेना के बेड़े के प्रमुख अंग बन गए। विमान के प्रदर्शन से संतुष्ट होने के बाद भारतीय रक्षा मंत्रालय ने नए विमानों का ऑर्डर दिया। दिसंबर 2000 में, दोनों पक्षों ने भारत के HAL (Hindustan Aeronautics Limited) में Su-30MKI के लाइसेंस प्राप्त उत्पादन के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। 2012 में Su-30MKI की तकनीकी किट के लिए एक और अनुबंध किया गया। वास्तव में Su-30MKI प्रोजेक्ट किसी विदेशी देश के साथ भारत के सैन्य सहयोग के इतिहास का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बना गया है और इसने अन्य देशों के लिए Su-30MK परिवार के विमानों की बिक्री में भी योगदान दिया है। इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट ने सीधे तौर पर Su-30SM फाइटर जेट के विकास को भी प्रभावित किया है।
  20. Su-30 MKI: सुखोई-30 एमकेआई (मॉर्डनाइज कमर्शियल इंडियन) को भारतीय वायुसेना की रीढ़ कहा जाता है। भारत की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस विमान को तैयार किया गया था जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड लाइसेंस के तहत भारत में ही बनाती है।
  21. भारत ने अपनी जरूरतों के अनुसार रूस से यह विमान दोबार डिजायन कराया था और इसमें रूस के अलावा इजरायल, फ्रांस के साथ ही साथ स्वदेशी तौर पर विकसित आधुनिक उपकरण लगाए हैं।
  22. भारतीय वायुसेना ने एचएएल और डीआरडीओ की मदद से ब्रम्होस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइज को अपने सुखोई विमान से दागने में सफलता हासिल कर ली है। दुनिया में अपने तरह की एकलौती और अनोखी क्षमता है जो चीन समेत किसी अन्य देश के पास नहीं है।
  23. भारत का सुखोई 30 हवा में कलाबाजी करने (मैनुवरेबिलिटी) और आसमान में तेजी से अपनी स्थिति को बदलने में ज्यादा सक्षम है क्योंकि इसमें कनाड और थ्रस्ट वेकटरिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे सुखोई-30 सीरीज का सबसे घातक फाइटर जेट बनाते हैं।
  24. सुखोई-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) भारतीय वायुसेना का मेन एयरक्राफ्ट है, जिसे अग्रीम श्रेणी में रखा जाता है। सुखोई ने कई मुसिबतों के समय भारतीय भारतीय वायु सेना के नाजुक मौकों पर अहम रोल निभाया है। सुखोई विमान भारतीय वायु सेना का सबसे सफल एयरक्राफ्ट है।
  25. रूस के इन विमानों का निर्माण अब भारत में भी होता है। रूस के निर्माता सुखोई और भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से इन फाइटर प्लेन का निर्माण नासिक में किया जाता है। सुखोई विमान में 12 हार्ड प्वॉइंट हैं। भारत के पास इन विमान की मौजूदा संख्या 272 के करीब है।
  26. ये जानकारी काफी कम लोगों के पास होगी कि साल 2016 में भारतीय वायुसेना के नासिक एयरबेस पर ढाई टन वजनी ब्रह्मोस मिसाइल को इस लड़ाकू विमान में अटैच कर आसमान में परीक्षण के लिये भेजा गया था।
  27. भारतीय वायु सेना में शामिल हो चुका यह लड़ाकू विमान नई तकनीक से पूरी तरह लैस है। अपनी उड़ने की क्षमता, हवा और ज़मीन में तेज़ी से मिसाइलें दागने के कारण यह भारतीय वायु सेना का सबसे अहम लड़ाकू विमान बन चुका है। इस विमान को टाइटेनियम और उच्च तीव्रता वाले एल्यूमीनियम धातुओं से तैयार किया गया है। तकनीक के मामले में सुखोई लंबाई 21.9 मीटर है और इसकी ऊंचाई 6.4 मीटर है। इस लड़ाकू विमान के 14.7 मीटर लंबाई वाले पंख तेज़ी से हवा को भेदने में सक्षम है। एसयू-30 एमकेआई का वजन 38,800 किलोग्राम है।
  28. वजन में भारी होने के बावजूद यह लड़ाकू विमान अपनी तेज़ गति के लिये जाना जाता है। आसमान में सुखोई की गति 2120 किलोमीटर प्रति घंटा की होती है। जो थोड़े से समय में एयरबेस से युद्धक सामग्री लेकर युद्धस्थल तक पहुंच सकता है। रोचक बात यह है कि इसको इसकी रफ्तार के लिये ही तैयार किया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर कम समय में यह विमान युद्ध स्थल पर हथियार पहुँचा सके।
  29. इसके अलावा सुखोई-30 की खासियत ये है कि इसमें एक नहीं बल्कि 2-2 इंजन लगे हुए हैं और दोनों इंजनों को काफी मजबूती के साथ तैयार किया गया है। 2 इंजन को रखने का उद्देश्य ये था कि अगर युद्ध के दौरान विमान का एक इंजन फेल हो जाता है तो दूसरे इंजन के जरिए विमान को उड़ाया जा सकता है। कहा जाता है कि दोनों इंजन के सहारे यह लड़ाकू विमान प्रति सेकेंड में तीन सौ मीटर की ऊंचाई पकड़ता रहता है। दोनों इंजन के सहारे यह विमान ऊंची उड़ान भरने में सक्षम है।
  30. सुखोई-30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) युद्ध के मैदान में जितना खतरनाक है, उतना ही महंगा भी है। एक सुखोई विमान की कीमत करीब 350 करोड़ रुपए है। साल 2000 में भारत ने 140 विमान रूस से खरीदने का करार किया था। भारत के पास इसकी मौजूद संख्या 272 के करीब है।

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