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2022 में करवा चौथ कब है जानें शुभ मुहूर्त,पूजा विधि | karwa chauth 2022

karwa chauth 2022: हमारे भारत में शादी सिर्फ दो इंसानों के बीच का संबंध नहीं बल्कि दो परिवारों का मिलन माना जाता है। जिस शादी से दो इंसानों और परिवारों की डोर बंधी हो उसे निभाने के लिए कई तरह के रीति-रिवाज होते ही हैं। उन्हीं में से एक है करवाचौथ।
करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व है।
यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं।
यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है।

ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं।
शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए।
पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है।
करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है।
वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है।
स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं।

यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है।
अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है।
जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं।
इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें।

भारत देश में वैसे तो चौथ माता जी के कही मंदिर स्थित है, लेकिन सबसे प्राचीन एवं सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गाँव में स्थित है।
चौथ माता के नाम पर इस गाँव का नाम बरवाड़ा से चौथ का बरवाड़ा पड़ गया।
चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने की थी।

करवा चौथ का इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवता और दैत्यों के बीच भयंकर युद्ध आरंभ हुआ तो व्रह्मा जी ने देवताओं की पत्नियों को करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहा।
मान्यता है कि तभी से करवा चौथ के व्रत को रखने की परंपरा आरंभ हुई।
एक अन्य कथा के अनुसार भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने इस व्रत को रखा था।

करवा चौथ का क्या महत्व है

करवा चौथ का व्रत विधि पूर्वक करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
पति की लंबी आयु और सफलता के लिए इस व्रत को रखा जाता है।
इस दिन सुहागिन स्त्रियां दिनभ अन्न और जल का त्याग कर, करवा चौथ का व्रत पूरा करती हैं।

2022 में करवा चौथ कब है(karwa chauth 2022)

13 अक्तूबर 2022, (गुरुवार)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल करवा चौथ 13 अक्तूबर 2022, गुरुवार दिन को है।
इस तिथि को संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं। करवा चौथ का पर्व और व्रत कार्तिक मास में आता है।

करवा चौथ पर राहु काल का समय (karwa chauth 2022)

पंचांग के अनुसार 13 अक्तूबर 2022 दिन गुरुवार प्रारंभ: 1:59 am से 14 अक्तूबर 2022 शुक्रवार समाप्ति: 3:08 am 

करवा चौथ 2022 शुभ मुहूर्त (karwa chauth 2022)

करवा चौथ 2022 की डेट : 13 अक्टूबर 2022

करवा चौथ 2022 क‍िस द‍िन है : गुरुवार 

करवा चौथ 2022 पूजा का समय

 को करवा चौथ पूजा मुहूर्त :17:54:10 से 19:03:33 तक 

अवधि – 1 घंटे 9 मिनट

करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री(karwa chauth 2022)

karwa chauth 2022: मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, सिन्दूर, बिछुआ, कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, चंदन, अक्षत (चावल), मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।

पूजा के लिए मंत्र (karwa chauth 2022)

karwa chauth 2022: ‘ॐ शिवायै नमः‘ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय‘ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः‘ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः‘ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः‘ से चंद्रमा का पूजन करें।

करवा चौथ पूजा विधि (karwa chauth 2022)

karwa chauth 2022: करवा चौथ है उससे संबंधित प्रयुक्त होने वाली संपूर्ण सामग्री एकत्रित कर लें। इस दिन सुबह जल्दी स्नानादि करने के बाद ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’ यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।

दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें इस रीति को करवा धरना कहा जाता है। चाहे तो आप पूजा के स्थान को स्वच्छ कर वहां करवा चौथ का एक चित्र लगा सकती हैं जो आजकल बाजार से आसानी से कैलेंडर के रूप में मिल जाते हैं। हालाकि अभी भी कुछ घरों में चावल को पीसकर या गेहूं से चौथ माता की आकृति दीवार पर बनाई जाती है। इसमें सुहाग की सभी वस्तुएं जैसे सिंदूर, बिंदी, बिछुआ, कंघा, शीशा, चूड़ी, महावर आदि बनाते हैं।
सूर्य, चंद्रमा, करूआ, कुम्हारी, गौरा, पार्वती आदि देवी-देवताओं को चित्रित करने के साथ पीली मिट्टी की गौरा बनाकर उन्हें एक ओढ़नी उठाकर पट्टे पर गेहूं या चावल बिछाकर बिठा देते हैं। इनकी पूजा होती है। ये पार्वती देवी का प्रतीक है, जो अखंड सुहागन हैं। उनके पास ही एक मिट्टी के करूए(छोटे घड़े जैसा) में जल भरकर कलावा बांधकर और ऊपर ढकने पर चीनी और रुपए रखते हैं। यही जल चंद्रमा के निकलने पर चढ़ाया जाता है।

शाम को मां पार्वती और शिव की कोई ऐसी फोटो लकड़ी के आसन पर रखें, जिसमें भगवान गणेश मां पार्वती की गोद में बैठे हों।

कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ व्रत कथा सुनें या पढ़ें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं या उनका श्रृंगार करें।
इसके बाद मां पार्वती भगवान गणेश और शिव की अराधना करें।
चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा करें और अर्घ्य दें।

पति के हाथ से पानी पीकर या निवाला खाकर अपना व्रत खोलें। पूजन के बाद सास- ससुर और घर के बड़ों का आर्शीवाद लें।

करवा चौथ पर कथा सुनें

karwa chauth 2022: करवा चौथ की कथा सुनते समय महिलाएं अपने-अपने करूवे लेकर और हाथ में चावल के दाने लेकर बैठ जाती हैं।
कथा सुनने के बाद इन चावलों को अपने पल्ले में बांध लेती हैं और चंद्रमा को जल चढ़ाने से पहले उन्हें रोली और चावल के छींटे से पूजती हैं और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
कथा के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासूजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।
रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें।
उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।

बदल गई परंपरा

karwa chauth 2022: माना कि परंपरा के अनुसार पतियों का व्रत रखना जरूरी नहीं है लेकिन इस तरह की परंपरा विकसित हो रही है जहां पत्नी के साथ-साथ पति भी व्रत रख रहे हैं। इसीलिए करवाचौथ अब भारत में केवल लोक-परंपरा नहीं रह गई है।
पौराणिकता के साथ-साथ इसमें आधुनिकता का प्रवेश हो चुका है और अब यह त्यौहार भावनाओं पर केंद्रित हो गया है।
आज पति-पत्नी न केवल एक दूसरे के लिए भूखे रहते हैं बल्कि उपहारों का भी आदान-प्रदान होता है।
लिहाजा दोनों ही एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए उपहार खरीदते हैं।

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