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असम राइफल्स (Assam Rifles) क्या है इसे कैसे ज्वाइन करें पूरी जानकारी हिंदी में

असम राइफल्स (Assam rifles) का गठन 1835 में कछार लेवी के नाम से किया गया था।
जिसका कार्य उस समय जनजातीय लोगों से ब्रिटिश बस्तियां और चाय बागानों की सुरक्षा करना था।
यह देश का सबसे पुराना पुलिस बल है।
1971 में इसका नाम बदलकर असम राइफल्स (Assam rifles) रख दिया गया ।
इसका मुख्यालय शिलांग में है ।
इस पर पूर्वोत्तर क्षेत्र की आंतरिक सुरक्षा और भारत-म्यांमार सीमा की सुरक्षा का दोहरा उत्तरदायित्व है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोंगों को राष्ट्रीय मुख्यधारा में लाने में असम राइफल्स की भूमिका सराहनीय रही है।
इस बल को प्यार से ‘पूर्वोत्तर का प्रहरी’ और ‘पर्वतीय लोगों का मित्र’ कहा जाता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्तमान में असम राइफल्स (Assam rifles) का नियंत्रण गृह मंत्रालय (MHA) तथा रक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।

क्या है असम राइफल्स (Assam rifles) ?

असम राइफल्स (Assam rifles) गृह मंत्रालय (MHA) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (Central Armed Police Forces-CAPFs) में से एक है।
यह बल भारतीय सेना के साथ मिलकर पूर्वोत्तर में कानून व्यवस्था के रख-रखाव के अलावा भारत-म्याँमार सीमा की रक्षा भी करता है।
प्रशासनिक और प्रशिक्षण स्टाफ के अलावा असम राइफल्स (Assam rifles) के पास 63,000 से अधिक सैनिक और कुल 46 बटालियन हैं।
ऐतिहासिक दृष्टि से असम राइफल्स का गठन वर्ष 1835 में कछार लेवी (Cachar Levy) नामक एक एकल सैन्यबल के रूप में पूर्वोत्तर भारत में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया था।
कुछ समय बाद इस सैन्य बल को वर्ष 1870 में कुछ अतिरिक्त बटालियनों के साथ असम सैन्य पुलिस बटालियन में परिवर्तित कर दिया गया।
वर्ष 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के बाद इसका नाम बदलकर असम राइफल्स कर दिया गया।
वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण के बाद असम राइफल्स (Assam rifles) को सेना के संचालन नियंत्रण में रखा गया।

असम राइफल्स (Assam rifles) की भूमिका

असम राइफल्स (Assam rifles) भारत के सबसे पुराने अर्द्ध-सैनिक बलों में से एक है जिसे वर्ष 1835 में ब्रिटिश भारत में सिर्फ 750 सैनिकों के साथ बनाया गया था।
तब इस बल ने दो विश्व युद्धों और वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में हिस्सा लिया है, साथ ही इसने पूर्वोत्तर में आतंकवादी समूहों के विरुद्ध चलाए गए अभियानों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यह स्वतंत्रता के पूर्व और पश्चात् सबसे अधिक सम्मानित अर्द्ध-सैनिक बल बना हुआ है।
असम राइफल्स को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कुल 76 वीरता पदकों से सम्मानित किया गया था।
असम राइफल्स ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी कई लड़ाईयाँ लड़ी थीं और इस दौरान इसे 48 वीरता पदकों से सम्मानित किया गया था।
स्वतंत्रता के बाद से असम राइफल्स (Assam rifles) ने 188 सेना पदकों के अलावा 120 शौर्य चक्र, 31 कीर्ति चक्र, पाँच वीर चक्र और चार अशोक चक्र जीते हैं।

विवाद

यह दोहरी संरचना वाला एकमात्र अर्द्धसैनिक बल है, असम राइफल्स (Assam rifles) का प्रशासनिक नियंत्रण गृह मंत्रालय (MHA) और संचालन नियंत्रण रक्षा मंत्रालय के अधीन सेना द्वारा किया जाता है।
इसके अर्थ है कि असम राइफल्स के लिये वेतन और बुनियादी ढाँचा गृह मंत्रालय द्वारा प्रदान किया गया है, जबकि कर्मियों की नियुक्ति, स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति आदि का निर्णय सेना द्वारा लिया जाता है।
महानिदेशक (DG) से लेकर महानिरीक्षक (IG) तक असम राइफल्स के सभी वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति सेना द्वारा ही की जाती है और इन पदों पर अधिकांश भारतीय सेना के अधिकारी कार्यरत होते हैं। इस बल की कमान भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल के पास होती है।
असम राइफल्स को लेकर चल रहा विवाद भी इसी दोहरी संरचना प्रणाली से उत्पन्न होता है। स्वयं असम राइफल्स के अंदर और गृह मंत्रालय तथा रक्षा मंत्रालय दोनों ओर से किसी एक मंत्रालय को बल के पूर्ण नियंत्रण दिये जाने की मांग की जा रही है, जिससे बल को और कुशलतापूर्वक नियंत्रित किया जा सके।
गौरतलब है कि स्वयं असम राइफल्स के अंदर एक ऐसा बड़ा वर्ग है जो बल के नियंत्रण को पूरी तरह से रक्षा मंत्रालय को दिये जाने के पक्ष में है, क्योंकि इससे असम राइफल्स के सैनिकों/पूर्व-सैनिकों को गृह मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तुलना में बेहतर भत्ता और सेवानिवृत्त लाभ मिलेगा।
हालाँकि सेना के तहत सेवानिवृत्ति की आयु 35 वर्ष है, जबकि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के तहत सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष है, लेकिन सेना के जवानों को वन-रैंक-वन-पेंशन का लाभ भी मिलती है जो CAPF को नहीं मिलती है।

गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को पूर्ण नियंत्रण क्यों चाहिये?

गृह मंत्रालय का तर्क है कि लगभग सभी सीमा रक्षक बल गृह मंत्रालय के परिचालन नियंत्रण में आते हैं और यदि असम राइफल्स (Assam rifles) को गृह मंत्रालय के पूर्व नियंत्रण में दिया जाता है तो इससे देश की सीमा को एक व्यापक तथा एकीकृत दृष्टिकोण मिल सकेगा।
गृह मंत्रालय की माने तो असम राइफल्स (Assam rifles) 1960 के दशक में निर्धारित कार्य पद्धति के आधार पर काम कर रहा है, वहीं गृह मंत्रालय के नियंत्रण में आने से इसकी कार्य पद्धति को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की पद्धति के आधार पर विकसित किया जाएगा।
वहीं भारतीय सेना का तर्क है कि असम राइफल्स ने सेना के साथ समन्वय के माध्यम से काफी बेहतरीन कार्य किया है और यह सशस्त्र बल की तमाम जिम्मेदारियों से मुक्त होकर अपने मुख्य कार्य पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
यह भी तर्क दिया गया है कि असम राइफल्स (Assam rifles) सदैव से ही एक पुलिस बल न होकर एक सैन्य बल रहा है और इसे इसी रूप में विकसित किया गया है।

असम राइफल रिक्ति विवरण

राइफलमैन जनरल ड्यूटी (जीडी – पुरुष / महिला)
हवलदार क्लर्क (पुरुष / महिला)
राइफलमैन कुक (केवल पुरुष)
राइफलमैन सफ़ाई (केवल पुरुष)
राइफलमैन वाशरमैन (केवल पुरुष)
राइफलमैन नाई (केवल पुरुष)
राइफलमैन उपकरण और बूट रिपेयरर (केवल ईबीआर पुरुष)
वारंट ऑफिसर रेडियो मैकेनिक (केवल आरएम पुरुष)
राइफलमैन इलेक्ट्रीशियन (केवल पुरुष)
वारंट अधिकारी व्यक्तिगत सहायता (पीए – पुरुष / महिला)
राइफलमैन इलेक्ट्रिकल फिटर सिग्नल (केवल ईएफएस पुरुष)
राइफलमैन लाइनमैन फील्ड (केवल LMN पुरुष)
राइफलमैन आर्मरर (केवल पुरुष)
राइफलमैन इलेक्ट्रीशियन मैकेनिक वाहन (केवल EMV पुरुष)
राइफलमैन वाहन मैकेनिक (वीएम केवल पुरुष)
राइफलमैन प्लम्बर (केवल पुरुष)
वारंट ऑफिसर फार्मासिस्ट (पुरुष / महिला)
हवलदार एक्स-रे सहायक (केवल पुरुष)
राइफलमैन महिला परिचर (केवल महिला)

असम राइफल ग्रुप सी पदों के लिए पात्रता मानदंड

शैक्षणिक योग्यता:
सामान्य ड्यूटी (जीडी – पुरुष / महिला) – 10वीं कक्षा उत्तीर्ण,
क्लर्क (पुरुष / महिला) – 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण। टाइपिंग की गति 35 शब्द प्रति मिनट।
राइफलमैन कुक (केवल पुरुष) – 10 वीं कक्षा उत्तीर्ण एवं पाक कला कौशल।
राइफलमैन सफाई (केवल पुरुष) – 10वीं कक्षा उत्तीर्ण एवं आवश्यक कौशल।

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